राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वाधान में संविधान दिवस पर ली सविधान की शपथं आज दिनाक 26 नवंबर 2024 को संविधान दिवस पर डीएवी पीजी कॉलेजए राजनीति विज्ञान विभाग के स्टुडेंट फोरम
रिपब्लिका के तत्वाधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में कार्यक्रम संयोजक डॉण् विकास सिंह ने भारतीय संविधान के बारे में विद्यार्थियों को बताया तथा महाविद्यालय के विद्यार्थियों को संविधान की प्रस्तावना पढ़कर शपथ दिलाई। 26 नवंबर को मनाया जाने वाला संविधान दिवस हमारे देश के लिए बेहद खास दिन होता है। 1949 में इसी दिन हमारे देश का संविधान बनकर तैयार हुआ थाण् भारत के संविधान कीए प्रस्तावना संविधान का सार है। यह संविधान के उद्देश्यों को बताती हैए इसे ही संविधान की आत्मा भी कहते हैं। उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षकगण डॉ प्रतिमा गुप्ताए डॉ प्रियंका सिंहए डॉण् सूर्य प्रकाश पाठक डॉ गौरव मिश्रा डॉ रत्नेश यादव समेत विभाग के विद्यार्थीगण उपस्थित रहे और संविधान की प्रस्तावना का संकल्प लिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ गौरव मिश्रा द्वारा किया गया और राष्ट्रगान के साथ इस कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के स्टूडेंट फोरम रिपब्लिका के तत्वाधान *एक राष्ट्र एक चुनाव* (One Nation One Election) विषयक चर्चा-परिचर्चा का आयोजन आज
दिनांक.19.10.24 को न्यू बिल्डिंग स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में संपन्न हुआ।
उक्त कार्यक्रम में एक राष्ट्र एक चुनाव विषयक के सभी तकनीकी पहलुओं पर विचार विमर्श करते हुए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराने के पक्ष और विपक्ष में छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।
छात्र छात्राओं द्वारा इसके पक्ष और विपक्ष में कई महत्वपूर्ण तर्क रखे जो इस प्रकार
पक्ष में तर्क
चुनावी खर्चों को कम करने की दलील
देश में चुनाव की निरंतरता को समाप्त करने की बात की गई है जिससे विकास पर ज्यादा बोल दिया जा सके
आदर्श आचार संहिता से देश का विकास अवरोध होता रहता है एक बार चुनाव कराने से इसको हम रोक सकते हैं
प्रशासनिक कार्य कुशलता की वृद्धि की बात की गई है एक देश एक चुनाव से प्रशासन के लोग चुनाव की व्यवस्था की वजह से आमजन की समस्याओं को सुलझाने में सफल नहीं हो पाते हैं
5.राजनीतिक दलों द्वारा वित्तीय संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है
मतदाताओं के मतदान में वृद्धि की बात की गई ।
विपक्ष में तर्क
1.संघवादी व्यवस्था के लिए एक बेसिक चुनाव बहुत बड़ा खतरा है। जिससे केंद्रीय पार्टी का प्रमुख बढ़ जाता है और स्थानीय पार्टियों या राज्य के स्तर पर मौजूद क्षेत्रीय दल और उनकी आकांक्षाएं दिन प्रतिदिन कम हो जाएंगे।
जनता के प्रति उत्तरदायित्व में भी कमी आएगी, वास्तव में मतदाताओं के पास चुनने का अवसर होता है किसी भी सरकार को उसकी कमी को देखकर के हर कुछ वर्षों बाद उसे हटाया जा सकता है एक देश एक चुनाव में यह संभव नहीं ।
4.ई वी एम और वीवीपीएटी की अधिकतम आवश्यकता होगी जिसका समुचित प्रबंध कर पाना मुश्किल होगा
5.स्थानीय पार्टियां एवं उभरती हुई क्षेत्रीय पार्टियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा ।
6.ऐसे बड़े चुनाव के लिए ज्यादा सुरक्षा बलों की ज्यादा आवश्यकता होगी अगर इन्हें चुनाव में लगा दिया जाए तो अन्य स्थानों पर जैसे सीमा पर खतरा इत्यादि हो सकता है। ।
इस विमर्श में केवल्य परिदा, मनोज बरुआ, आयुष दुबे, सुरेश कुमार, अनुकृति, वंशिका, ऋषभ मिश्र, प्रियांशु आनंद, राखी चक्रवर्ती इत्यादि ने प्रतिभाग किया
धन्यवाद ज्ञापन डॉ विकास सिंह ने किया। संचालन एम ए फाइनल के सुमित सिंह ने किया। कार्यक्रम में विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ स्वाति नंदा समेत समस्त शिक्षक डॉ प्रियंका सिंह, डॉ प्रतिमा गुप्ता, डॉ गौरव मिश्रा, डॉ रत्नेश यादव उपस्थित रहें।
The annual quiz programme of the department titled POLQUEST was held on 02 May and 06 May 2024 under the coordination of Dr. Pratima Gupta. The
decision to conduct the quiz on 02nd May and 06th May 2024 was unanimously taken by all the faculty members in a departmental meeting held on dated. 29.04.2024. Dr. Swati S Nanda (HOD), Dr. Priyanka Singh, Dr. Pratima Gupta, Dr. Gaurav Mishra, Dr. Vikas Singh, Dr. Girish Dubey contributed 5 questions each from their respective subject area. Dr. Pratima Gupta was given the responsibility of moderating the questions and present them before the faculty members. The tasks given to the teachers were performed. The quiz was held among the M.A. students on dated. 02nd May in Conference Hall, New Building and for B.A. students the quiz took place on 06th May at room numbers 209 and 210, New Building.
40 students from M.A. and from B.A 28 students participated in the POLQUEST quiz. Questions were distributed among the students and they were given 35 Minutes to complete the multiple choice questions. The answers were evaluated by all teachers in the department properly.
The following students were declared as winners.
First Prize in M.A.: Harsh Vardhan Singh, Anoop Kumar, Kuheli Bar
Second Prize: Kaibalya Parida
Third: Prabhat Kumar Yadav, Prabhat Dwivedi
First Prize in B.A:
Madan Mohan (6th Sem), Ajay Kumar Yadav (4th Sem), Anshit Pratap Singh (6th Sem) Shah Ismail (2nd Sem)
Second Prize: Diwakar Bux Rai (6th Sem), Gyanesh Soni (4th Sem)
Third Prize: Abhishek Rajput (6th Sem)
All the students were informed of the results.
The winners were informed that the prize distribution would be held at the college level.
डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के राजनीति विज्ञान विभाग के स्टूडेंट्स फोरम रिपब्लिका में छात्र-छात्राओं ने “संसदीय राजनीति में राजनीतिक दलों की भूमिका” विषयक चर्चा-परिचर्चा में राजनीतिक दलों में बढ़ रही अवसरवादिता पर व्यक्त की चिंता डी.ए.वी. पी. जी. कालेज के राजनीति विज्ञान विभाग के छात्र- छात्राओं ने अपने फोरम रिपब्लिका में राजनीतिक दलों में मूल्य विहीन राजनीति के बढ़ रहे चलन पर चिंता व्यक्त की, छात्रों ने अपनी बातचीत में कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और इस समय देश में आम चुनाव भी चल रहा है । ऐसे में इस समय कालेज के स्टूडेंट फोरम रिपब्लिका द्वारा संसदीय लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियों की भूमिका पर छात्रों के बीच चर्चा परिचर्चा बहुत ही समसामयिक है। चर्चा की शुरुआत एम.ए. प्रथम वर्ष के छात्र सुमित शुक्ल ने किया। श्री शुक्ल ने लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की मजबूती के लिये सबसे जरूरी बताया और राजनीतिक पार्टियों को इस पर खास ध्यान देना चाहिए। कालेज की ही एक छात्रा प्रिया ने कहा कि संसदीय परम्परा में राजनीतिक पार्टियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि राजनीतिक पार्टियों की भूमिका से ही देश के विकास का विजन और चरित्र तय होता है। अगले वक्ता के रूप में प्रभात द्विवेदी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं जिसका प्रमाण हमारे पौराणिक ग्रंथों में मिलता है और वर्तमान समय में राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है कि उसे बनाये रखें। रिपब्लिका के इस फोरम पर लगभग एक दर्जन छात्र और छात्राओं ने अपने विचार व्यक्त किये। जिसमें अधिकांश छात्रों ने वर्तमान राजनीतिक दलों में बढ़ रहे मूल्यविहीन राजीनीतिक चलन ,बेमेल गठबंधन और अवसरवादिता के बढ़ते चलन पर गहरी चिंता व्यक्त की। रिपब्लिका के इस प्रतिष्ठित फोरम में अभिभावक के रूप में आशीर्वाद उद्बोधन राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा ने किया, इसके अलावा मंच पर पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ प्रियंका सिंह , डॉ प्रतिमा गुप्ता , डॉ विकास सिंह, डॉ गौरव मिश्रा और डॉ गिरीश कुमार दुबे मौजूद थे । छात्रों का, छात्रों के द्वारा और छात्रों के लिए आयोजित इस फोरम में एम.ए. फाइनल,एम.ए. प्रीवियस और बी.ए. की छात्र-छात्राओं ने भाग लिया । इस कार्यक्रम का सफल संचालन एम.ए. फाइनल के छात्र आनिंद्य नारायण सिंह ने की।



सांसद
निखिल कुमार ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना राज्य की जिम्मेदारी है, अभी सही समय है यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का। विद्यार्थी सांसद रचयिता शाह ने कहा कि अच्छा होता अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग जनता के बीच में से आती है. सरकार को यूनिफॉर्म सिविल कोड को ऊपर से लागू करने के बचा है आम जनमानस में अधिक चेतना का विकास करके लागू करने का प्रयास करना चाहिए । विद्यार्थी सांसद अमन झा ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की आवश्यकता है यह देश के सभी नागरिकों को अच्छा जीवन स्तर प्रदान करेगा। विधार्थी सांसद दिव्या कुमारी ने कहा की समान नागरिक सहिता महिलाओ के हित में होगा, इसके लागू होने से महिलाओ का और हित व न्याय सुनिश्चित होगा । सदन का संचालन स्पीकर श्रीपद ने किया। मृणाल, सार्थक, आलोक, अमन, कोहिली, प्रभात, विपिन राणा, आदित्य, स्नेहा आदि विधार्थी सांसदो ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का निर्देशन डॉ राकेश मीना, डॉ प्रतिमा गुप्ता, गौरब मिश्रा, पीयूष पांडे तथा विभाग अध्यक्ष डॉ. प्रियंका सिंह के नेत्रत्व में हुआ।
the discussion is “Voting behavior and electoral reform” where participants named Rachita Saha, Sudhanshu Kaushik, Anjali Tripathi, Ajay Mishra, Manika Pandey, Mrinal Jha participated .The participant explain how the
voting behavior effects the overall result of particular election. The participant also discuss multiple factor related to affecting voting behavior such as caste, language, religion, infrastructure. This discussion began with Rachita introducing all the participants. Sudhanshu Kaushik set the stage for the discussion by stating the importance of the day. He spoke about the ideological differences between parties that has led to a lot of changes in the voting behavior of Indian citizens. Manika, in her turn, focused on women’s participation in voting which has increased in the post-2014 period. Ajay’s opinion concentrated on the constitutional provisions. He talked about the fundamental rights that empower us to participate in politics as well as the role of the EC which has ensured that Indian elections are carried out properly despite the challenges .Mrinal discused the psychology of citizens India. He felt that citizens of India still do not take their voting rights seriously. On her part, Anjali felt that each citizen must take voting as his/her sacred constitutional duty. The participants also provided the concrete suggestion regarding the voting Behavior in democracy.
introduction of a new chapter in Indian parliamentary democracy”. All the students of the department have submitted their views in the form of articles. The department has published all the articles in the form of a magazine. The magazine was jointly launched by Dr. Satya Dev Singh, the Principal of the college, Dr. Parul Jain, the coordinator of IQAC and Dr. P.K Sen, the advisor of the college. All the students and teachers of the Department of Political Science should be present in the program. The department of political science has also promised to address more relevant issues of Indian politics in the coming years. 
विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि आज 71 सालों के बाद भी हमारा संविधान उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था, यह तथ्य उस दौर के संविधान निर्मात्री सभा के सदस्यों की दूरदर्शिता को दिखाता है। प्रोफ़ेसर सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता आन्दोलन और संविधान निर्माण में महिलाओं ने सक्रिय रूप से आगे बढ़ कर हिस्सा लिया था। उस दौर में महिलाएं सड़कों पर ही नहीं घरों में रहकर भी बच्चों और आस पडौस में राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता के विचारों का प्रसार कर रही थी। महिलाएं उस काल में महात्मा गाँधी और अन्य महापुरुषों पर गीत गाया करती थी। वक्ता ने आगे बताया कि संवैधानिक सभा में 15 महिला सदस्य थी जबकि भारत की साक्षरता दर मात्र 9 प्रतिशत ही थी. संवैधानिक सभा में शाही और सभ्रांत परिवारों के अलावा दलित और पिछड़े परिवारों की महिलाओं की भी भागीदारी रही थी। उस दौर में महिलाओं ने अपनी लेखनी के माध्यम से स्वतंत्रता आन्दोलन में अहम् भूमिका निभाई थी। प्रोफ़ेसर सिंह ने सरोजनी नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, लीना रॉय, कमला चौधरी, मालती चौधरी, पूर्णिमा बनर्जी, राजकुमारी अमृत कौर, रेणुका रे, सुचेता कृपलानी, एनी मेस्करन आदि महिलाओं की राष्ट्रीय आन्दोलन और संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान पर विस्तार से चर्चा की। आयोजन के अंतिम कड़ी में प्रश्न उत्तर का समय दिया गया जिसमें कई बच्चों ने संबंधित सवाल पूछे, इस प्रश्नोत्तरी में शामिल सवाल काफी व्यवहारिक थे एवं वक्ता ने हर प्रश्न का उत्तर काफी सुसज्जित तरीके से एवं संतोषप्रद उत्तर दिया।इस व्याख्यान में विभाग की अध्यक्षा डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा, डॉ. राकेश कुमार मीना, एवं डॉ. प्रतिमा गुप्ता उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त इस कार्यकरण में बी एच यू के राजनीति विज्ञान विभाग से डॉ प्रियंका झा, वसंत महाविद्यालय से डॉ पुनीता और सरोज उपाध्याय भी इस कार्यक्रम से जुडी थी। इस व्याख्यान में करीब 75 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
सुखाड़िया, विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर एवं भारतीय चुनाव से संबंधित शोधकर्ता डॉ संजय लोढा रहे। इस आयोजन का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ. राकेश मीणा के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. लोढ़ा के
स्वागत एवं तत्पश्चात उनके वक्तव्य से हुआ। डॉ. लोढ़ा ने अपने वक्तव्य में वर्तमान चुनाव में मतदाताओं के भागीदारी के संदर्भ में अनेक महत्वपूर्ण बातों का वर्णन किया उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारतीय लोकतंत्र में मतदाताओं की भागीदारी में महत्वपूर्ण वृद्धि देखने को मिल रही है, खास बात यह है कि आज महिलाएं इसमें पीछे नहीं है इसके साथ-साथ उन्होंने
इस बात पर जोर दिया कि चुनाव के तीनों स्तरों आम चुनाव, विधानसभा चुनाव व स्थानीय स्वशासन के चुनाव तीनों में आज मतदाता अत्यधिक जागरूक हो रहे हैं, एवं मतों की मूल्यों को समझ रहे हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने यह कहा की यद्यपि मतदान अधिकार एक मौलिक अधिकार नहीं है किंतु यह एक नागरिक अधिकार है, अतः इसका सही, एवं विवेकपूर्ण उपयोग, हम सभी नागरिकों की प्रथम कर्तव्य होनी चाहिए। इसके साथ-साथ भारतीय चुनावो को अत्याधिक समावेशी, सुगम व सहभागी बनाना हमारा एवं हम सभी का प्रयास होना चाहिए।
इस कार्यक्रम में अन्य शिक्षक जैसे राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. स्वाति सुचारिता नंदा, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. प्रतिमा गुप्ता एवं अन्य मौजूद रहे। कार्यक्रम में उपस्थित अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ अनूप मिश्र ने भी अपने वक्तव्य से सभी को लाभान्वित किया। यह कार्यक्रम और समावेशी बनाने हेतु यहां उपस्थित छात्र एवं छात्राओं को भी अपने वक्तव्य रखने एवं प्रश्न पूछने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, इस क्रम में आशीष, अरविंद, अनु, मृणाल, अमर जैसे विद्यार्थियों ने अपनी वक्तव्य को रखा एवं एवं प्रश्न पूछे।कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष स्वाति सुचारिता नंदा के द्वारा किया गया एवं उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य में ऐसे और कार्यक्रमों के आयोजन की जाए एवं कार्यक्रम को समावेशी बनाया जाए।