प्रवेश, पाठ्य-निर्धारण एवं प्रमाण-पत्र

उपर्युक्त पाठ्यक्रम ‘प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता’ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग प्रायोजित नियमों के अंतर्गत एक ‘त्रिवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम’ है जिसमे स्नातक स्तर के विद्यार्थी प्रवेश ले सकेंगे. संपूर्ण पाठ्यक्रम कुल छ: सत्रों (सेमेस्टर) व तीन वर्षो का होगा. संक्षेप में इसका स्वरुप अधोलिखित है.
  • प्रथम वर्ष (दो सेमेस्टर) – सर्टिफिकेट कोर्स
  • द्वितीय वर्ष (दो सेमेस्टर) – डिप्लोमा कोर्स
  • तृतीय वर्ष (दो सेमेस्टर) – एडवांस डिप्लोमा कोर्स
इस प्रकार कुल तीन वर्ष और छ: सत्रों में पाठ्यक्रम का संचालन होगा. प्रत्येक वर्ष का पाठ्यक्रम २० क्रेडिट का होगा इस प्रकार तीन वर्ष और छ: सत्रों में कुल प्रश्नपत्र ६० क्रेडिट का होगा. प्रत्येक कोर्ष का सम्बन्ध पूर्वापर के साथ ही स्वतंत्र भी होगा. इसमे प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी को प्रथम वर्ष में ‘ सर्टिफिकेट कोर्स ‘ का दूसरे वर्ष में ‘ डिप्लोमा कोर्स ‘ का तथा तीसरे वर्ष में ‘ एडवांस डिप्लोमा कोर्स ‘ का प्रमाण पत्र दिया जाएगा |

प्रश्नपत्र एवं अंक निर्धारण

प्रस्तुत डिप्लोमा पाठ्यक्रम ‘ प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता ‘ के प्रत्येक कोर्स सर्टिफिकेट/डिप्लोमा/एडवांस डिप्लोमा के कुल तीन प्रश्नपत्र होंगे | प्रत्येक सैद्धांतिक प्रश्नपत्र ०६ क्रेडिट और १०० अंको का होगा जिसमे ७० अंक  लिखित मूल्यांकन के लिए तथा ३० आंतरिक मूल्यांकन के लिए रखे गए है |
प्रत्येक कोर्स में ८ क्रेडिट और १०० अंक प्रोजेक्ट वर्क/फील्ड वर्क/ट्रेनिंग/असाइनमेंट तथा मौलिक मूल्यांकन हेतु रखे गए है | प्रत्येक सैद्धांतिक प्रश्नपत्र में ०३ इकाईयाँ है | इसमे सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक दोनों तरह का पाठ्यक्रम समाहित है , ताकि विद्यार्थी पठन – पाठन के साथ ही साथ प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक दोनों ही रूपों में शिक्षित – प्रशिक्षित हो सके |
इस तरह उपर्युक्त पाठ्यक्रम अंक – निर्धारण हो सके –
  • लिखित मूल्यांकन –    ७० अंक
  • आतंरिक मूल्यांकन – ३० अंक
  • एक प्रश्नपत्र का पूर्णांक – १०० अंक
  • फील्ड वर्क/प्रोजेक्ट वर्क/ट्रेनिंग /असाइनमेंट,मौखिक  – १०० अंक
  • वार्षिक (प्रत्येक वर्ष ) –    (१०० X ०३=३०० अंक)
उक्त में फील्ड वर्क/ प्रोजेक्ट वर्क/ ट्रेनिंग / असाइनमेंट के लिए ५० अंक तथा ५० अंक मौखिक मूल्यांकन के लिए रखे गए है |

Activities

प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता के छात्रों की पहल पर हिंदी विभाग के विद्यार्थियों के साथ मिलकर हिंदी की वर्तमान चुनौतियों पर सार्थक चर्चा सम्पन्न हुई।विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की श्री विवेकानंद मिश्र ने और छात्रों को एक एक कर बात रखने के लिए आमंत्रित किया।एडवांस्ड डिप्लोमा के छात्रों में धीरज कुमार, नीतीश कुमार और सिद्धांत कुमार मौर्य ने समाचार पत्रों में खबरों की भाषा सम्बन्धी अशुद्धियों की सूची प्रस्तुत की और लेखन लापरवाही को स्पष्ट करने का प्रयास किया। आकाश कुमार , आयुष दुबे और हिमांशु कुमार ने चर्चा के क्रम में प्रश्न करते हुए हिंदी क्षेत्र में भाषा विषयक पठन पाठन की उदासीनता के साथ साथ भाषा शिक्षण सम्बन्धी निष्क्रियता पर चिंता व्यक्त की। छात्रों ने सामूहिक सम्वाद में कहा कि भाषा का सम्बंध जातीय एकता, सांस्कृतिक बोध और राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा हुआ है इसलिए उसके प्रति बहुत सावधानीपूर्वक व्यवहार होना चाहिए। आज की चर्चा में छात्रों को सम्बोधित करते हुए डॉ राकेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि मीडिया ने राष्ट्रीय आंदोलन में बहुत विवेक के साथ जागरण का अभियान चलाया था लेकिन अब उसका रूपांतरण उद्योग में हो गया है इसलिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है।
हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार राम ने कहा कि यह लगातार देखने में आ रहा है कि बार बार मीडिया की भाषा हिंसक होती जा रही है , उसने अभिव्यक्ति की आजादी की लक्ष्मण रेखा को लांघने का काम किया है। इस चर्चा की शुरुआत में डॉ समीर कुमार पाठक सभी छात्रों और प्राध्यापकों का स्वागत किया और छात्रों की सम्वाद की पहल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भाषा का लगातार अवमूल्यन सांस्कृतिक संकट की सूचना है इसको रोकना जरूरी है ।भाषा की रचनात्मक दुनिया में सक्रिय हम अध्यापक और छात्रों को बहुत सजग ढंग से इसका सामना करना चाहिए।  डॉ अस्मिता तिवारी ने खबरों की भाषा पर बात करते हुए नवजागरणकालीन पत्रकारिता का स्मरण किया और कहा कि राष्ट्री संघर्ष में सक्रिय हमारे नायकों ने देश के साथ साथ भाषा साहित्य के सवाल को भी बराबरी पर रखा और सुसंगत दृष्टिकोण का परिचय दिया। छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ विश्वमौलि ने भाषा शिक्षण की विभिन्न विधियों और लेखन कौशल विकास की चर्चा की और भाषा के कुशल प्रयोग के प्रति छात्रों को उत्साहित किया। कार्यक्रम में डॉ नीलम सिंह ने छात्रों को प्रोत्साहित किया और लगातार लिखते रहने को प्रेरित किया।
 छात्रों ने एक एक कर भाषा विषयक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए इस चुनौतीपूर्ण समय में भाषा के प्रति जागरूक दृष्टिकोण अपनाने की बात की। सम्वाद में इस बात पर भी चर्चा हुई कि भाषा के सवाल को सरकारी प्रयासों के सहारे नहीं छोड़ा जा सकता है इसका सम्बन्ध जन जन तक है इसलिए आम जनमानस को जागरूक करना , उनमें भाषायी गौरव का भाव जागृत करना और भाषायी अस्मिता का पहचान विकसित करना चाहिए । पत्रकारिता के छात्र के रूप में विद्यार्थियों ने अपने अपने स्तर पर भाषायी सुधार का संकल्प लिया और नागरिक जीवन में जागरूकता के दायित्व को स्वीकार किया। आज की चर्चा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में सम्पन्न हुई, चर्चा में हिंदी पत्रकारिता के विद्यार्थियों के साथ साथ हिंदी साहित्य के विद्यार्थी भी काफी संख्या में सक्रियता के साथ जुड़े रहे।
दिनांक 29-10-2021 को डीएवी पीजी कॉलेज के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में चल रहे दस दिवसीय ‘हिन्दी के अध्ययन की समस्याएं’ विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय कार्यशाला के नौवें दिन प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए विशिष्ट व्याख्यान आयोजित हुआ। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनुराग दवे ने साहित्य और पत्रकारिता के अन्तःसम्बन्ध पर विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता और साहित्य दोनो एक दूसरे के पूरक रहे हैं, जैसे जैसे साहित्य समृद्धशाली होता गया वैसे वैसे पत्रकारिता ने भी खुद को समृद्ध बनाया। पर आज वर्तमान दौर की पत्रकारिता में काफी बदलाव की आवश्यकता है क्योंकि साहित्य संस्कृति के व्यापक सरोकार के सन्दर्भ में पत्रकारिता का पैटर्न लगातार संकुचित होता जा रहा है।संभावनाओं से परिपूर्ण  जीवन व्यवहार क्षेत्र के रूप में राजभाषाक्षेत्र अर्थात कार्यालय और प्रशासन का अपना महत्व है ,लेकिन लोकतंत्र के चतुर्थ स्तम्भ के रूप में पत्रकारिता ने हिंदी की विविध प्रयुक्तियों को लोकप्रिय बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है. आज यदि खेल के मैदान से लेकर राजनीति के मैदान तक और व्यापार-वाणिज्य से लेकर कंप्यूटर के भूमंडलीय स्वरूप तक को सहेजने में हिंदी के विविध प्रयोजनमूलक रूप सक्षम दिखाई दे रहे हैं तो इसका श्रेय बड़ी सीमा तक हिन्दी पत्रकारिता को जाता है क्योंकि उसने राजकाज, शिक्षा,न्यायव्यवस्था और अन्य अनेक क्षेत्रों में राजभाषा हिंदी की घोर उपेक्षा के बावजूद जनभाषा के रूप में उसकी व्यापक जनसंचार की शक्ति को पहचाना तथा नित-नूतन प्रसार पाते ज्ञानाधारित समाज की स्थापना में हिंदी को समृद्ध करते हुए स्वयं समृद्धि प्राप्त की । इस कार्यक्रम का संचालन श्री प्रताप बहादुर सिंह ने किया।कार्यक्रम की शुरुआत में सभी का स्वागत करते हुए डॉ समीर कुमार पाठक ने कहा कि पत्रकारिता का काम सच को उजागर करना और झूठ के साम्राज्य का पर्दाफाश करना है। आज के दौर में पत्रकारिता अपने युग धर्म का पालन कर रही है या नहीं इस पर जरा ठहरकर विचार करने की जरूरत है। आज की कार्यशाला में पूर्व के सत्रों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज की प्रोफेसर लालसा यादव , गोरखपुर विवि के प्रोफेसर अनिल कुमार राय आदि के भी व्याख्यान हुए।आज के विचार सत्र की अध्यक्षता डॉ. सत्यदेव सिंह, स्वागत डॉ राकेश कुमार राम , संचालन प्रताप बहादुर सिंह ने किया और विषय स्थापना डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी ने की। कार्यक्रम के अंत में सभी के प्रति आभार प्रदर्शन किया डॉ अस्मिता तिवारी ने। यह कार्यक्रम ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में सम्पन्न हुआ। ऑनलाइन छात्र क़ाफी संख्या में जुड़े थे साथ ही कई छात्र ऑफलाइन भी उपस्थित थे।

  

दिनांक 10 मार्च 2021 को  प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता के अंतर्गत नवप्रशिक्षु छात्रों के ओरिएंटेशन कार्यक्रम में पूर्वांचल विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने कहा कि आरंभिक काल से ही पत्रकारिता चुनौतीपूर्ण रही है, लेकिन कोरोना काल में पत्रकारिता के लिए चुनौतियां और बढ़ी है। कोरोना ने पत्रकारिता के स्थापित मानदंडो में व्यापक बदलाव लाया है, जिससे इस क्षेत्र में असीम संभावनाओं में भी वृद्धि हुई है । वर्तमान वैश्वीकरण के दौर में सूचना क्रांति अत्यन्त महत्वपूर्ण है जिसमें सूचना ही सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाई गयी नयी शिक्षा नीति अकादमिक पत्रकारिता के उन्नयन में काफी सहयोगी होने वाली है।  डॉ मनोज मिश्रा डीएवी पीजी कॉलेज के प्रयोजनमूलक हिन्दी पत्रकारिता के तत्वावधान में  ‘हिन्दी पत्रकारिता : संभावनाएं एवं चुनौतियां’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन विशिष्ट व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। डॉ. मनोज ने कहा कि कोरोना काल में जिस तरह से प्रिन्ट मीडिया के समक्ष संक्रमण का खतरा आया है, उसके बाद डिजीटल मीडिया का बोलबाला बढ़ा है। रोजगार के एक बड़े साधन के रूप में समाचार पत्रों ने वेब पत्रकारिता को बढ़ावा दिया, आने वाला दौर हिन्दी पत्रकारिता का है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लाई गयी नई शिक्षा नीति अकादमिक पत्रकारिता के उन्नयन में काफी सहयोगी होने वाली है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने कहा कि कोरोना ने पत्रकारिता के सामने अनेक चुनौतियों को प्रस्तुत किया है , दूर दराज के इलाके की खबरें सभी तक पँहुचे उसमे भी कठिनाई है पर इन चुनौतियों के बीच पत्रकारों ने बहुत लगन और मेहनत से अपने दायित्व का निर्वाह किया है सकारात्मक माहौल बनाने में मदद की है – यह खुशी और संतोष की बात है। कार्यक्रम की शरुआत में स्वागत समन्वयक डॉ समीर कुमार पाठक ने किया और संचालन श्री प्रताप बहादुर सिंह ने किया। चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रताप बहादुर सिंह ने हिंदी पत्रकारिता की परम्परा और विशिष्टता को रेखांकित करते हुए भारतीय समाज की विविधता के कारण भाषायी पत्रकारिता के महत्त्व को उद्घाटित किया और भाषायी पत्रकारिता के महान स्तम्भों को स्मरण किया ।इस विशिष्ट व्याख्यान में महाविद्यालय के प्राध्यापकों में डॉ राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ अस्मिता तिवारी , डॉ मुकेश कुमार सिंह, डॉ प्रशांत कश्यप, डॉ नजमुल हसन, डॉ इंद्रजीत मिश्र सहित पत्रकारिता के काफी छात्र वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी के प्रति धन्यवाद  प्रकाश डॉ राकेश राम ने किया।

दिनांक 13 -07-2020 को प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता के छात्रों के साथ ऑनलाइन माध्यम (google meet) द्वारा कोविड महामारी में पत्रकरिता के दायित्व पर सामूहिक चर्चा हुई।  पत्रकारिता के विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए श्री प्रताप बहादुर सिंह ने विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की और छात्रों को एक एक कर बात रखने के लिए आमंत्रित किया।एडवांस्ड डिप्लोमा और डिप्लोमा के छात्रों में रक्षित राज, रवि झा, शुभम कुमार और राजन कुमार ने कोविड की भयावहता के बीच समाचार पत्रों में प्रकाशित अमानवीय खबरों की सूची प्रस्तुत की। ऋषभ कुमार, निर्मल कुमार और विजय बहादुर ने चर्चा के क्रम में प्रश्न करते हुए लॉकडाउन के दौरान पठन पाठन पर आसन्न संकट के साथ साथ जमीनी पत्रकारिता के सामने उपस्थित संकट का वर्णन करते हुए कहा कहा कि तालाबंदी लगते ही जीवन के विभिन्न कार्यव्यापार के लिए अवरोध पैदा हुआ, जरूरी सामान का मिलना, लोगो का बाहर निकलना और अखबार  तक आम खबरों का पंहुचना सब मुश्किल लगने लगा था लेकिन धीरे धीरे चीजें शुरू हो रही हैं पर सतर्कता के साथ हमे आगे बढ़ना है।  आज की चर्चा में छात्रों को सम्बोधित करते हुए डॉ राकेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि कोरोना संकट मीडिया उद्योग के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय था। लाॅकडाउन लगते ही पहला संकट यह था कि अखबार कैसे बंटेंगे, कैसे पहुंचेगे। दूसरा संकट इस दौरान झूठे समाचार व अफवाहें, तीसरा संकट मीडिया इस चुनौती को कैसे रिपोर्ट करे। उसके लिए कोई नियमन किसी समाचार कक्ष में नहीं था। न ही इस बारे में डब्ल्यूएचओ व किसी अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने कोई दिशा-निर्देश जारी किये। ऐसे में पत्रकारिता का दायित्व अत्यंत कठिन हो जाता है। डॉ राकेश कुमार राम ने कहा कि कोरोना संकट में कई बार मीडिया ने अभिव्यक्ति की आजादी की लक्ष्मण रेखा को लांघने का काम किया है। मीडिया ने नया एजेंडा सेट किया। तथ्य के साथ ओपिनियन कैसे बताया जाए इस तरह की पत्रकारिता का दौर देखा ओवरटेक जर्नलिज्म, जुमला जर्नलिज्म कई नए नए शब्द बने है। इस चर्चा में शामिल डॉ समीर कुमार पाठक ने कहा कि जन चारो तरफ भय और तनाव का वातावरण बना था क्योंकि कोरोना संकट के दौर सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार भी गर्म था ऐसे वातावरण में जनमानस को जागरूक करना चुनौतीपूर्ण था। समाचार माध्यमों के आगे बहुत बड़ा आर्थिक संकट भी था। कई पत्रकार इसका शिकार बने व सैंकडों संक्रमित भी हुए लेकिन यह सुखद है कि पत्रकारों ने अपने दायित्व को बहुत ही बखूबी तरह से निभाया। डॉ अस्मिता तिवारी ने घरों में कैद जीवन के बीच सकारात्मक खबरों की भूमिका पर बात करते कहा कि सकारात्मक मानवीय खबरों से उत्साह का वातावरण बनेगा और उत्साह का संचार होगा।  छात्रों ने एक एक कर पत्रकारिता के धर्म का उल्लेख करते हुए इस चुनौतीपूर्ण समय में कहा कि पत्रकारिता को सरकारी प्रयासों को जनता तक पंहुचना चाहिए , जनमानस को जागरूक करना चाहिए और आम जनता को कोविड प्रोटोकाल का पालन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। पत्रकारिता के छात्र के रूप में विद्यार्थियों ने अपने अपने स्तर पर स्थानीय स्तर पर लोगो को जागरूक करने और सकारात्मक माहौल बनाने का संकल्प लिया। आज की वर्चुअल चर्चा में हिंदी पत्रकारिता के विद्यार्थियों के साथ साथ हिंदी साहित्य के विद्यार्थी भी काफी संख्या में सक्रियता के साथ जुड़े रहे।
दिनांक 10-10-2018 को डीएवी पीजी कॉलेज में प्रयोजनमूलक हिन्दी पत्रकारिता की ओर से  ‘समाचार लेखन और सम्पादन कला’ विषयक विचार संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध पत्रकार और जागरण आई नेक्स्ट के सम्पादक विश्वनाथ गोकर्ण ने कहा कि सेना के बाद दूसरा सर्वाधिक जोख़िम का काम पत्रकारिता का होता है क्योंकि पत्रकारिता समाज की प्रत्येक सच्चाई को सामने रखती थी वह अब अपने लक्ष्य से पथभ्रष्ट प्रतीत हो रही है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता सरकारी गजट या नोटिफ़िकेशन बनकर रह गई है।‌ लगभग सभी मिडिया संस्थान और‌ चैनल दिन रात सरकार का गुणगान करते हैं। इक्कीसवीं सदी में दुनिया विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर बात कर रही है परन्तु भारतीय मीडिया धर्म, जातिवाद, मन्दिर – मस्जिद की तथाकथित राजनीति से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। इस तरह की पत्रकारिता भारतीय समाज में अन्धविश्वास, धार्मिक उन्माद, सामाजिक विघटन ही पैदा करेगी। वर्तमान समय में मिडिया की नजरों में सेक्युलर, उदारवादी या संविधानवादी होना स्वयं में एक गाली का पर्याय हो गया है।इतना सबकुछ होने के बावजूद भी हम पत्रकारिता के माध्यम से निरन्तर समाज की सत्यता से रूबरू हो रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा. शिव बहादुर सिंह ने कहा -पत्रकार को किसी भी विचारधारा से प्रभावित होकर खबर का प्रकाशन नहीं करना चाहिए। पत्रकार को हर समय न्यायनिष्ट और निष्पक्ष रहना चाहिए। अपने स्वागत वक्तव्य में पाठ्यक्रम समन्वयक डा. राकेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि उत्कृष्ट लेखनी के लिए भाषा की प्रगाढ़ता नितान्त आवश्यक है। भाषा पर अच्छी पकड़ अच्छी अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करने से होती है इसलिए आवश्यक है कि उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाओं को पढ़कर आत्मसात किया जाए। उन्होंने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि -पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है, जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्यक ढंग से होना चाहिए। मीडिया की भाषा साहित्यिक भाषा की तरह अलंकरण का बोझ लेकर नहीं चलती न ही वह अकादमिक भाषा की तरह बौद्धिकता का बोझ ढोती है लेकिन कागज और ओंठों के बीच की दूरी कम करने के चक्कर में मीडिया का भाषा-प्रयोग नवाचार भी करता है। चर्चा में शामिल प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने कहा कि – समय, विषय और घटना के अनुसार पत्रकारिता में लेखन के तरीके बदल जाते हैं। यही बदलाव पत्रकारिता में महत्त्वपूर्ण होता है और इसके माध्यम से पत्रकार कला का विकास होता है। इस विशिष्ट व्याख्यान का संचालन श्री प्रताप बहादुर सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ राकेश कुमार राम ने किया। चर्चा में  महाविद्यालय के प्राध्यापकों में  डॉ मुकेश कुमार सिंह, डॉ प्रशांत कश्यप, डॉ मिश्रीलाल, डॉ समीर कुमार पाठक, डा.अस्मिता तिवारी एवं डॉ सुमन सिंह सहित पत्रकारिता के बहुत सारे छात्र उपस्थित रहे।