Department of Psychology, DAV PG College offers Post Graduate Diploma courses in counselling and psychotherapy. This is a 1-year full-time diploma course and it is offered by the Banaras Hindu University that deals with understanding the psychological principles and therapeutic techniques which are required during the counselling process of a person. The course is also beneficial to solve human problems has acquired a new dimension with the changing nature of the challenges that the world faces. The course is designed to provide an education and training in an integrative approach to psychological counselling and Psychotherapy to a level appropriate for safe, ethical and effective practice. Counselling and psychotherapy is a high demand field wherein all skilled Post graduates can find open job positions immediately. Any candidate with the passion to excel in the field will find soon find unsurmountable success. A post Graduate Diploma in Counselling and psychotherapy can pursue a diverse range of career opportunities.
Eligibility Criteria
A candidate Passed Masters Degree in Psychology/ Cognitive Sciences/ Applied Psychology/ Clinical Psychology/Psychiatric Nursing/ Community Psychology/ Rehabilitation Psychology/ Counseling and Family Therapy/Counseling Psychology/Education/M.Ed. / M.Ed. (Special Education)/ MBBS/BAMS with minimum of 50% marks.
डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के मनोविज्ञान विभाग में स्टूडेंट ओरियंटेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसका विषय ’’मनोवैज्ञानिक ज्ञान कौशल और करियर निर्माण’’ था। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. बी.सी.कर (साइंटिस्ट, डीआरडीओ) थे। उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान के जरिए हम अपने को खुद खुश रख सकते हैं और दूसरों को भी खुश रख सकते हैं। इसलिए इसके स्वरूप जीवन जीने में काफी सहायता मिलती है। मनोविज्ञान से ही हमें जीवन में बेहतर निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। मनोवैज्ञानिक परामर्श दैनिक जीवन की समस्याओं के समाधान में सहायक होता है आज वर्तमान की अति व्यस्त जीवनशैली और तनावपूर्ण माहौल में व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ भी कर रहा है इसमें मनोविज्ञान की भूमिका देवदूत जैसी है। मनोविज्ञान एक नई दृष्टि देता है और इसका मूल मंत्र है कि दृष्टि बदलो तो सृष्टि बदल जाती है। मनोविज्ञान के माध्यम से खुश रहने के तरीकों का भी वर्णन डॉ बीसी कर ने किया। और कहा कि जीवन में यदि खुश रहना है तो रोमांचक बदलाव लाएं और इससे व्यक्ति उर्जावान महसूस करता है। इस सेमिनार की अध्यक्षता मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्य गोपाल जी ने किया तथा कहा कि मनोविज्ञान एक जीवन जीने की कला है और इसी मनोविज्ञान से व्यक्ति में रचनात्मकता आती है। हमारी जीवन की सार्थकता मनोविज्ञान के जरिए सिद्ध होती है। धीरे-धीरे ज्ञान की विभिन्न शाखाओं पर मनोविज्ञान का प्रभाव महसूस होने लगा हैं। और यह अन्य विषय की समस्याओं को भी समझने में उपयोगी हो रहा है । जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को मनोविज्ञान जरूर पढ़ना चाहिए यह ऐसा विषय है जो मनुष्य के जीवन के प्रत्येक पहलू को एक वास्तविक दृष्टिकोण से समझता है। इस कार्यक्रम में अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ ऋचा रानी यादव ने किया तथा कार्यक्रम में डॉ.कल्पना सिंह, डाॅ. अखिलेंद्र सिंह, डॉ. कमालुद्दीन शेख, डॉ. राजेश झा, प्रशांत रघुवंशी आदि उपस्थित थे ।
डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के मनोविज्ञान विभाग में विश्व अल्जाइमर डे सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय ’’ अल्जाइमर और डिमेंशिया साथ-साथ ’’ था। जिसके मुख्य वक्ता प्रोफेसर के. एस.सेंगर (रिनपास, रांची) थे। उन्होने कहा की अल्जाइमर में देखभाल करने वालों का उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। शुरुआती दौर में डिमेंशिया का असर कम होता है इसलिए लोग पहचान नहीं पाते और बाद में सोचने समझने की शक्ति धीरे – धीरे कम होने लगती है । इसके लिए एक योजनाबद्ध तरीके से देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। परिवार तथा समाज ऐसे व्यक्ति को सार्थक, गरिमा पूर्ण और आत्मनिर्भर जिंदगी के लिए मदद कर सकते हैं। इसके साथ सबसे पहले समय तथा स्थान का बोध कराना चाहिए । ऐसे व्यक्तियों की देखभाल में कभी भी गुस्सा नहीं दिखाना चाहिए और अपने मन- मस्तिष्क को सक्रिय रखना चाहिए ।यह बिमारी बढ़ती उम्र के साथ साथ कम उम्र (42-50) में भी हो सकती है । ॅ.भ्.व्. की रिपोर्ट के मुताबिक 6-7ः संभावना कम उम्र में होने की होती हैं । इसके लिए स्ट्रेस लेवल कम रखने की आवश्यकता है।इस कार्यक्रम के प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने शुभकामनाएं प्रेषित की और कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यगोपाल जी ने किया और उन्होंने कुछ नैदानिक उपकरण की चर्चा की जो अल्जाइमर के रोगियों को पहचानने में मददगार साबित हो सकती है।इस कार्यक्रम का संचालन डा. ॠचा रानी यादव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डा. अखिलेंद्र कुमार सिंह ने किया, कार्यक्रम में डॉ. कल्पना सिंह और कमालुद्दीन शेख एवं प्रशांत रघुवंशी भी मौजूद थे ।
डीएवी पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग और इंडियन एकेडमी आफ मेंटल हेल्थ के संयुक्त तत्वाधान में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया गया, जिसका विषय बदलते भारत में मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता था । जिसके मुख्य वक्ता के रूप में मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी लंदन के प्रोफेसर विमल शर्मा थे, जिन्होने कहा कि अगर खुश रहना है तो इन पांच बातों का पालन करें :- – रोज के कार्यों को ठीक तरह रेगुलर करें – एक्सरसाइज करें – किसी की बुराई न करें – अपने आस पास की सुंदर प्रकृति और अच्छे दोस्त,लोग आदि के लिए आभारी रहें – जीवन में एक दूसरे से कम्युनिकेशन बनाए रखें।
प्रोफेसर जे.यस.त्रिपाठी बीएचयू ने सभी का स्वागत किया और कहा कि विभिन्न प्रकार के योग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है ।कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यगोपाल जी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की सुविधा गावों में नहीं इसलिए असमानताएं हैं। वहाँ टेलीमेंटल हेल्थ सुविधा प्रदान किया जा सकता है। मानसिक विमारियों की पहचान के लिए गांवों में बवनदेमससवत की नियुक्ति की जाय जिससे कि लोगो को आसानी से अवेयर किया जा सके। नशाखोरी गांवों में ज्यादा हो रही है उसके लिए उसके दुष्परिणामो के सम्बंध में बड़े बड़े होर्डिंग लगाए जाएं। बच्चों के स्कूल में वैलनेस सेंटर हों और स्कूल लेवल पर उनकी स्क्रीनिंग की जाय।डा. ऋचा रानी ने प्दकपंद ंबंकमउल व िउमदजंस ीमंसजी की मुख्य लक्ष्यों को बताया जिससे कि धरातल तक मानसिक स्वास्थ्य की सुविधाएं लोगो को मिले और लोग खुलकर अपनी समस्याओं को शेयर करें।डॉ लक्ष्मण यादव ने कार्यक्रम का संचालन किया और राजेश जैन ने धन्यवाद दिया। इस पूरे कार्यक्रम में पार्टिसिपेंट ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए एक्सपर्ट्स से अपनी राय मांगी।
डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के मनोविज्ञान विभाग में में विश्व मानसिक दिवस का आयोजन किया गया जिसका विषय ’’आत्महत्या का कारण एवं निवारण’’ था। जिसके मुख्य वक्ता के रूप में डा. श्रेयांश द्विवेदी ने कहा कि आत्महत्या की प्रवृत्ति युवाओं में पारिवारिकए सामाजिक एवं बढ़ते कैरियर के बोझ के कारण बढ़ रही है। यदि उनके खतरनाक एवं नकारात्मक आवेगों को न रोका जाए तो यह भविष्य में महामारी का रूप ले सकता है। यदि तत्कालिक रूप से आत्महत्या को रोकना है र्तो इ.स.ीटी.तकनीक सबसे कारगर सिद्ध होता हैं। कुछ दवाओं द्वारा भी ऐसे सोच को रोका जा सकता है ।कार्यक्रम में विषय की स्थापना मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्य गोपाल जी ने किया और कहा कि आत्महत्या करने वालों को समझाने से ज्यादा सहयोग एवं केयर करने की आवश्यकता होती है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रिचा रानी यादव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ कल्पना सिंह ने किया। कार्यक्रम में डा0 अखिलेन्द्र सिंहए डा0 कमालुद्दीन शेखए डॉ.संगीता जैनए डॉ. स्वाति सुचिरिता नंदाए डॉ.वंदना बालचंदानीए डॉ. प्रियंका सिंह एवं डॉ.महिमा सिंह आदि उपस्थित थे ।
डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के मनोविज्ञान विभाग में में हिलींग कार्यशाला का आयोजन का आयोजन किया गया जिसका विषय ’’ स्वास्थ्यए समृद्धि और प्रसन्नता ’’ था। जिसके मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर संजय सक्सेना जी ने कहा कि इंसान मनोविज्ञान से संचालित होता है। लोगों के जेनेटिक एक्सप्रेशन भी मनोविज्ञान से ही संचालित होता है जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इंसान के मनरूस्थिति से जींस के परिचालन बदल जाते हैं और इंसान बहुत सी बीमारियों को ठीक कर सकता है। व्यक्ति के समृद्धि में विश्वास का बड़ा योगदान है। विश्वास के स्तर को बढ़ाकर समृद्धि हासिल की जा सकती है। यदि हमारा स्वास्थ्य सही है तो प्रसन्नता भी साथ साथ चलती है।इस कार्यशाला की अध्यक्षता डा0 शिव बहादुर सिंह जी ने किया। कार्यक्रम का संचालन डा0 ऋचा रानी यादव ने किया तथा विषय की स्थापना एवं धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्य गोपाल जी ने किया। कार्यक्रम में डा0 कल्पना सिंहए डा0 अखिलेन्द्र सिंहए डा0 कमालुद्दीन शेखए डा0 मिश्रीलालए डा0 संजय सिंह आदि उपस्थित थे।
डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के मनोविज्ञान विभाग में विश्व अल्जाइमर डे सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय ’’ अल्जाइमर के कारण डिमेंशिया की समस्या ’’ था। जिसके मुख्य वक्ता मनोविज्ञान विभाग के विभागाअध्यक्ष डा0 सत्यगोपाल जी थे। उन्होने कहा की अल्जाइमर में देखभाल करने वालों का उत्तरदाईत्व बढ़ जाता है। शुरुआती दौर में चुकी डिमेंशिया का असर कम होता है इसलिए लोग पहचान नहीं पाते बाद में सोचने समझने की शक्ति धीरे.धीरे कम होने लगती है । इसके लिए एक योजनाबद्ध तरीके से देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। परिवार तथा समाज ऐसे व्यक्ति को सार्थकए गरिमा पूर्ण और आत्मनिर्भर जिंदगी के लिए मदद कर सकते हैं।सबसे पहले समय तथा स्थान का बोध कराएं रू विभिन्न प्रकार के रिमाइंडर लगाएंए एक आसानी से पढ़ने वाली बड़ी घड़ी दीवाल पर लगाएंए कैलेंडर तथा चार्ट लगाएं तथा खाने पीने वाली चीजों पर भी विशेष ध्यान दें जिससे कि वह उसे पहचान सके।ऐसे व्यक्तियों की देखभाल में कभी भी गुस्सा ना दिखाए रू हमेशा धैर्य रखें व्यक्ति के बदलते तथा मुश्किल व्यवहार को संभालते संभालते शायद देखभाल करने वाले खुद मायूस हो जाते हैं और उन्हें गुस्सा आने लगता है आसपास के लोग उल्टा सीधा बोलने लगते हैं।व्यक्ति का निजी इतिहास समझे चाहे आप व्यक्ति को सालों से जानते होए हो सकता है कि उससे आपको पुरानी बातों उसने आपको पुरानी बातें नहीं बताई हो पर डिमेंशिया जब बढ़ता है तो व्यक्ति कई सालों पहले की बातों का भी बताने लगता है यह पागलपन नहीं बल्कि उनकी भी पुरानी बातों का पुनः सक्रिय होना है। मन मस्तिष्क को सक्रिय रखें रू कुछ हल्के.फुल्के कामों को दें जिससे कि उनका मस्तिष्क सक्रिय रहे और उनके थकान की भी संभावना न हो इससे उनकी पसंद और नापसंद का भी विशेष ध्यान रखा जा सकता है।यह बिमारी बढ़ती उम के साथ साथ कम उम्र ; 42.50 द्ध में भी हो सकती है । W.H.O. की रिपोर्ट के मुताबिक 6.7ः संभावना कम उम्र में होने की होती हैं । इसके लिए स्ट्रेस लेवल कम रखने की आवश्यकता है। इस सेमिनार की अध्यक्षता कालेज के प्राचार्य डा0 सत्यदेव सिंह जी ने किया तथा कहा की अल्जाइमर के कारण ही डिमेंशिया भूलने की बीमारी की समस्या आती है और हमेशा धैर्य रखें व्यक्ति के बदलते तथा मुश्किल व्यवहार को संभालते रहें। कार्यक्रम का संचालन डा0 ऋचा रानी यादव ने किया। तथा धन्यवाद डा0 कल्पना सिंह ने दिया। कार्यक्रम में डा0 विमल शंकर सिंहए डा0 संगीता जैनए डा0 अखिलेन्द्र सिंहए डा0 कमालुद्दीन शेख आदि उपस्थ्ति थे।
Keeping in mind the various types of competative examination, the Department of Psychology organized a PSYCHO-QUEST program. Students will be rewarded for this. Especially objective type questions in the UGC and PCS examination were kept in this competition. Best wishes to participants for success.
वर्तमान परिवेश में यदि जीवन की प्रत्यंचा पर स्वार्थी महत्वकांक्षाओं को चढ़ाया जाय तो महाभारत होकर ही रहता है। आज मनोविज्ञान विभाग ने बड़ा ही रोचक Behavioral neuroscience symposium को Organize किया।। Keynote speaker के रूप में Prof. V.N.Mishra ( Medical superintendent, IMS, B.H.U.)ने मस्तिष्क के चारो Lobs की भूमिका पर प्रकाश डाला।। Specially he has focused the role of frontal lobes in problem solving, judgement and impulse control. I would like to thanks Prof. V.N.Mishra sir for this noble work.