संस्कृत ओलंपियाड 2025 में उज्ज्वल को स्वर्ण तथा अपर्णा को कांस्यपदक

भारतीय ज्ञान परंपरा ओलिंपियाड-2025 में डीएवी पीजी कालेज के एमए के उज्जवल तिवारी को स्वर्ण पदक व अपर्णा तिवारी को कांस्य पदक प्राप्त हुआ है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली की ओर से आनलाइन मोड में आयोजित ओलिंपियाड में डीएवी के दोनों विद्यार्थियों ने महाविद्यालय का मान बढ़ाया है। इसमें बीएचयू, इलाहाबाद विवि, संपूर्णानंद संस्कृत विवि सहित अन्य कालेजों के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया था। प्रबंधक अजीत सिंह यादव, कार्यवाहक प्राचार्य प्रो0 मिश्रीलाल, उपप्राचार्य प्रो0 संगीता जैन, विभागाध्यक्ष प्रो0 पूनम सिंह, डाॅ0 दीपक शर्मा ने उज्जवल व अपर्णा को सम्मानित किया।
भारतीय संस्कृति एवं जीवनदर्शन के प्रति अभिरूचि जागृत करने के उद्देश्य से ज्ञान प्रवाह (सांस्कृतिक शोध अध्ययन केन्द्र) के ‘‘प्रेरणा-प्रवाह‘‘ प्रकल्प के अन्तर्गत दिनांक 11.04.2025 को आयोजित श्रीमद्भगवद्गीता कण्ठस्थ पाठ प्रोत्साहन उच्चशिक्षा स्तर की प्रतियोगिता में संस्कृत विभाग के स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षा के छात्र विभागीय समस्त प्राध्यापकों के निर्देशन में स्नातक प्रथम वर्ष से वृषभानु तिवारी, स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष से साकेत वत्स एवं संदीप खनाल तथा स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष से ईशान्त त्रिपाठी ने प्रतिभाग कर पुरस्कार के रूप में प्रमाणपत्र एवं श्रीमद्भगवद्गीता प्राप्त किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व कलासंकायाध्यक्ष, काशी हिन्दू विश्वविद्यायल से प्रो0 श्री किशोर मिश्र रहे। निर्णायक पूर्व विभागाध्यक्षा, संस्कृत विभाग प्रो0 मनुलता शर्मा एवं डाँ0 गंगाधर मिश्रा रहंें। यह कार्यक्रम वर्तमान शैक्षिक परिधि में सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर वर्तमान अपेक्षा के अनुरूप व्यवहार एवं कर्म की मर्यादा के प्रति छात्रों में चेतना भरने की दृष्टि से अत्यंत प्रभावपूर्ण रहा। इस अवसर पर काशी के अन्य महाविद्यालयों से भी विद्यार्थियों की उपस्थित रही।
महाकविकालिदास साहित्य पर आधारित छन्दोगान कार्यक्रम में दिनांक 28 मार्च 2025 को ज्ञान प्रवाह, सांस्कृतिक शोध अध्ययन केन्द्र वाराणसी में संस्कृत विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा भिन्न-भिन्न छन्दों मंे कालिदासीय पद्य की सस्वर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति की गई। इस कार्यक्रम में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय से आये प्रतिभागियों के मध्य स्नातक प्रथमवर्ष से वृषभानु तिवारी एवं शिवेन्द्र कुमार तथा स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष से उज्ज्वल तिवारी एवं अपर्णा ने कालिदास की रचनाओं से भारतीयसंस्कृति एवं जीवन-मूल्यों पर आधारित श्लोकों का छन्द के अनुरूप सस्वरगान प्रस्तुत कर प्रमाण पत्र अर्जित किया। इस अवसर पर उक्त संस्था द्वारा महाविद्यालय के संस्कृतविभाग को स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।

स्तोत्र पाठ (प्रथम) संस्कृत विभाग, कला संकाय (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) 17 जनवरी 2025

गीता समिति मालवीय भवन (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)

श्लोकान्त्याक्षरी संस्कृत विभाग, कला संकाय (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) 17 जनवरी 2025

डी.ए.वी. पी.जी. कॉलेज एवं संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 09 नवम्बर से 19 नवम्बर तक दस दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक गणितीय कार्यशाला का उद्घाटन पाणिनि कन्या महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा वेद मंत्रों के घनपाठ के उद्घोष से हुआ। उद्घाटन समारोह के अवसर पर मुख्यातिथि संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी जी ने वैदिक गणित की महत्ता व्यक्त करते हुए कहा बिना वेद के भारतीय संस्कृति अधूरी है, लौकिक जगत् का आधार वैदिक गणित ही हैं भारतीय ज्ञान परम्परा आरम्भ से ही संपूर्ण विश्व में अग्रणी रही है, नालन्दा व तक्षशिला की ज्ञान परम्परा का वैश्विक पटल पर पुनर्स्थापन करना होगा। महाविद्यालय द्वारा चलाये जा रहे वैदिक गणित षाण्मासिक प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम एवं इस प्रकार की कार्यशाला सूत्र का कार्य करेगी।
विशिष्टातिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय कला संकाय, संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. उपेन्द्र पाण्डेय जी ने गणित के दो प्रकार बताते हुए कहा कि सांख्यदर्शन के लिए वैदिक गणित की आवश्यकता सर्वाधिक है। मुख्यवक्ता के रूप में पधारे वेद वाणी वितान शोध संस्थान, सतना (म0प्र0) के निदेशक प्रो. सुद्युम्नाचार्य जी ने संख्या के विकास को संसार में अभूतपूर्व घटना बताते हुए तन्निहित शक्ति मूर्त को देखकर अमूर्त के आविष्कार को उद्घाटित किया तथा अध्यक्षीय उद्बोधन महाविद्यालय के प्राचार्य आधुनिक गणित में निष्णात प्रो. सत्यदेव सिंह जी ने कहा कि वैदिक गणित द्वारा गणित के गूढ़ प्रश्नों को हल किया जा सकता है एवं गणित से भयाक्रान्त विद्यार्थियों को वैदिक गणित की सरल पद्धति द्वारा गणित को रुचिकर बनाया जा सकता है। सारस्वत अतिथि के रूप में महाविद्यालय के मंत्री/प्रबन्धक अजीत कुमार सिंह जी थे।
उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. दीपक कुमार शर्मा, स्वागत भाषण प्रो. मिश्री लाल, विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, विषय प्रस्तावना विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका प्रो. पूनम सिंह तथा कृतज्ञता प्रकाशन डॉ. त्रिपुर सुंदरी ने किया। इस अवसर पर डॉ. पी.के. सेन, प्रो. सतीश कुमार सिंह, डॉ. रविकान्त त्रिपाठी, श्रीमती संध्या देवी एवं महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, अध्यापक, स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षा के विद्यार्थी तथा कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे अन्य महाविद्यालयों के प्रतिभागी उपस्थित थे। ऋतम्भरा प्रज्ञा से निःसृत ऋषियों की ज्ञान राशि के संप्रेषण, संपोषण एवं संवर्धन को लक्ष्य कर आयोजित कार्यशाला के तकनीकी सत्र के प्रथम दिवस दिनांक 09-11-2022 को मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रपति सम्मान से सभाजित प्रो. सुद्युम्नाचार्य ने अपने उद्बोधन द्वारा प्राचीन भारतीय गणित में शून्य और अनन्त की अवधारणा पर विश्वगणित पर प्रभाव दर्शाते हुए श्रुति पूर्णमदः पूर्णमिदं मंत्र द्वारा ऋषि प्रदत्त गणित को आधार प्रदान करने वाले शून्यांक की अनन्तता को बताया।
कार्यशाला के द्वितीय दिवस दिनांक 10 नवम्बर, 2022 को मुख्य वक्ता प्रो. सुद्युम्नाचार्य जी ने आर्यभट्ट के गणितीय सिद्धान्त को युग- प्रवर्तनकारी सिद्ध करते हुए उनके कतिपय गणितीय नियमों के प्रायोगिक पक्षों को उद्घाटित किया।
कार्यशाला के तृतीय दिवस दिनांक 11 नवम्बर 2022 के मुख्यवक्ता डॉ. अरुण कुमार उपाध्याय, सेवानिवृत्त, आई.पी.एस., भुवनेश्वर, उड़ीसा से अन्तर्जाल माध्यम से ब्रहमाण्डीय एवं खगोलीय माप के वैदिक सिद्धान्त की विवेचना करते हुए यह बताया कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड में चर, अचर, स्थावर जंगम सभी गणित से सम्बद्ध है सृष्टि सिद्धान्त ही गणित पर निर्भर हैं। भारतीय वैदिक गणित में ही यह क्षमता है कि किसी खगोलीय घटना की गणना हजारो वर्ष पूर्व भी की जा सकती थी। आर्षग्रंथों के कतिपय साक्ष्यों को देते हुए उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वैदिक गणित ही सौर मण्डल और नक्षत्रों की व्यवस्थित गणना करने में सक्षम रहा है। आर्यभट्ट, वाराहमिहिर एवं भास्कराचार्य के खगोलीय एवं ब्रह्मांडीय माप के सिद्धांतों एवं उनके प्रति आधुनिक वैज्ञानिक एवं नासा जैसी संस्थाओं द्वारा समानता एवं असमानता की समीक्षा किये जाने की चर्चा करते हुए भागवतपुराण, वाराहपुराण एवं ब्रह्मांडपुराण में वर्णित सिद्धांतों का प्रतिपादन तथा उनकी वर्तमान स्थिति की वैज्ञानिक परिणामों से तुलना कर वैदिक गणित की उपादेयता से अवगत कराया।
कार्यशाला के चतुर्थ दिवस दिनांक 12-11-2022 के मुख्य वक्ता गोंदिया, महाराष्ट्र के शासकीय पॉलिटेक्निक कॉल्ोज में इलेक्ट्रानिक्स एवं संचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशान्त एस. शर्मा जी ने अन्तर्जाल माध्यम से वैदिक गणित के ऐतिहासिक स्वरूप से लेकर उसके विभिन्न प्रायोगिक पक्ष को प्रस्तुत करते हुए नई पीढ़ी की तकनीकी के विकास में वैदिक गणित की उपादेयता का अत्यन्त वैदुष्यपूर्ण व्याख्यान करते हुए प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
कार्यशाला के पंचम दिवस दिनांक 14-11-2022 के मुख्य वक्ता ज्योतिष विभाग संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के डॉ. मधुसूदन मिश्र ने 15वीं शताब्दी से पूर्व सार्वभौमिक रूप से वैदिक गणित के प्रयोग को बताते हुए आचार्य भास्कर द्वारा प्रतिपादित भू परिधि एवं अक्षांश के संबंध का गणितीय प्रतिपादन एवं वैदिक काल में प्रयुक्त छाया व्यवहार, श्रेढ़ी व्यवहार, वर्गकर्म, करणी की प्रासंगिकता का निरूपण किया। उन्होंने कहा कि वैदिक कूटांक पद्धति तथा वर्णों के माध्यम से संख्याओं के परिज्ञानपूर्वक गणित के सूत्रों के उदाहरण भी प्रदर्शित किये।
कार्यशाला के षष्ठ दिवस दिनांक 15 नवम्बर 2022 के मुख्य वक्ता वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के वैदिक गणित के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. कृष्णमुरारी त्रिपाठी जी ने भारतीय शिल्प विज्ञान एवं यंत्र विज्ञान में वैदिक गणित की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय शिल्पकला उसमें प्रदर्शित विषय भवनों की लम्बाई चौड़ाई उनकी वास्तुकला जो कि पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। संप्रति प्रयोग होने वाले यन्त्रीय तकनीकी से भी ज्यादा कारगर है उनका कहना था कि वर्तमान में प्रचलित आधुनिक गणित में शून्य को अभाव स्वरूप मानते हैं जबकि वैदिक गणित में शून्य को प्रथमांक माना जाता है।
कार्यशाला के सप्तम दिवस दिनांक 16 नवम्बर 2022 को अन्तर्जाल माध्यम से सम्बद्ध ज्योतिष विभागाध्यक्ष केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जम्मू के विद्वान प्रो. श्याम देव मिश्र जी ने स्वामी श्री
कृष्णतीर्थ जी द्वारा प्रदत्त वैदिक गणित के सूत्रों का आंग्लभाषानुवाद कर गणितीय संक्रियाओं का ऋणात्मक एवं योग-ऋणात्मक ज्ञान के साधन में वैदिक गणित के सूत्रों का प्रयोग करते हुए भास्कराचार्य के छायाव्यवहार को रेखाचित्र के रूप में उद्घाटित करते हुए कहा कि वैदिक गणित के निरंतर प्रयोग से प्रश्नों का हल शीघ्र ही मिल जाता है एवं छात्रों के मानसिक विकास के लिए यह छोटे-छोटे सूत्र अत्यन्त उपयोगी है।
कार्यशाला के अष्टम दिवस दिनांक 17 नवम्बर, 2022 के वक्ता युवा विद्वान् वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से श्री आदित्य राज पाठक ने वैदिक गणित सूत्रों के प्रायोगिक पक्षों का उद्घाटन व्याहारिक रूप में अत्यन्त रोचक ढंग से प्रतिस्थापित करते हुए अनेक उदाहरणों के माध्यम से वैदिक गणित की यंत्रीय उपयोगिता को सिद्ध किया।
कार्यशाला के नवम दिवस दिनांक 18 नवम्बर, 2022 के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय के प्राध्यापक, महर्षि सान्दीपनि वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन से वैदिक गणित के युवा एवं अधिकारी विद्वान् डॉ0 आयुष शुक्ला जी ने अन्तर्जालीय माध्यम से अपने वक्तव्य द्वारा उद्बोधित करते हुए कहा कि वैदिक गणित से विद्यार्थियों के नैसर्गिक बौद्धिक क्षमता का विकास तीव्रता से होता है। इस गणित में जो पद्धतियाँ प्राप्त हैं वह पूर्णतया वैज्ञानिक तथा मनोरंजक हैं। उन्होंने गणितीय संक्रियाओं गुणन, वर्गमूल, भिन्न आदि के लिए वैदिक मन्त्र्ाों के साक्ष्य देते हुए उनके अनुप्रयोगांे को रोचक एवं सरलतम रूप में व्याख्यायित किया तथा प्रतिभागियों के प्रश्नांे का त्वरित समाधान करके आश्चर्य चकित कर दिया।
दस दिवसीय कार्यशाला का अन्तिम तकनीकि-सत्र्ा दिनांक 19 नवम्बर, 2022 को वक्ता के रूप में डॉ0 एस0एल0 मौर्य वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से उपस्थित होकर बोधायन त्र्ािक की अवधारणा के गूढ़ार्थ का स्पष्टीकरण करते हुए कहा कि भारतीय विद्याआंे में वैदिक गणित के तकनीकी द्वारा अत्यन्त दुरूह एवं जटिल प्रश्नांे का समाधान अत्यल्प समय मंे प्राप्त किया जा सकता है जो कि प्रतियोगी परीक्षाआंे की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी है इन्हांेने अपने वक्तव्य से छात्र्ाों को वैदिक-गणित की अत्यन्त सूक्ष्मतम विश्ोषताओं से प्रतिभागियों को अवगत कराया तथा प्रत्येक भारतीय को इस उत्कृष्ट ज्ञान को प्राप्त करने तथा उसके द्वारा लाभान्वित होने के लिए आग्रह किया साथ ही भविष्य मंे वैदिक-गणित का अन्य किन क्ष्ोत्र्ाों में उपयोग किया जा सकता है इस ओर भी प्रतिभागियों का ध्यान आकृष्ट किया।
दिनांक 21-11-2022 को दस दिवसीय वैदिक गणित राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन वैदिक गणित प्रमाणपत्र्ाीय पाठ्यक्रम के लोकर्पण के साथ हुआ। इस सत्र्ा के मुख्यातिथि के रूप में महर्षि पाणिनि संस्कृति एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन (म0प्र0) के कुलपति प्रो0 विजय कुमार सी.जी. रहे, जिन्होंने भारतीय संस्कृति को किस प्रकार से विकृत किया गया, कौन-कौन सी वह विद्याएँ थीं, जिनके बल पर पूरा विश्व भारत की ओर ज्ञान-पिापासा की पूर्ति के लिए निहारता था। इस विषय पर प्रकाश डालते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि आज भारतवर्ष की प्रत्येक संस्था में इस देश की मूल प्राच्यविद्याओं से सन्दर्भित 01 प्रश्नपत्र्ा अथवा पाठ्यक्रम अनिवार्य रूप से होना चाहिए। वैदिक गणित प्रमाणपत्र्ाीय पाठ्यक्रम के लोकार्पण के अवसर पर उन्हांेने महाविद्यालय के प्राचार्य महोदय तथा संस्कृत विभाग के प्रति अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त करते हुए कहा कि यह पाठ्यक्रम वैदिक-गणित के क्ष्ोत्र्ा में कीर्तिमान स्थापित करेगा।
इस अवसर पर सत्र्ा के मुख्यवक्ता प्रो0 पतंजलि मिश्र, वेदविभागाध्यक्ष, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहा कि सृष्टि के प्रारम्भ से ही गणितशास्त्र्ा की उपयोगिता पर फ्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक-गणित के माध्यम से मात्र्ा बौद्धिक-स्तर ही नहीं अपितु चारित्र्ािक श्रेष्ठता को भी छात्र्ा प्राप्त कर सकते हैं। राष्ट्र की मूलभूत सम्पत्ति होती है वहाँ के निवासियों का चरित्र्ा सत्यता, ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठा तथा राष्ट्रª के प्रति समर्पण उपर्युक्त समस्त संस्कार प्रदान करना शिक्षण संस्थाओं का दायित्व है। इस प्रकार के पाठ्यक्रम वास्तविक श्ौक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु आधारभूत हैं।
विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रो0 उपेद्र कुमार त्र्ािपाठी, समन्वयक, वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में कहा कि वैदिक संहिताओं में वर्णित गणित के मूल स्रोतों का परिचय प्रदान करते हुए प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
महाविद्यालय के उप-प्राचार्य प्रो0 सतीश सिंह ने अपने उद्बोधन मंे सभी विभागों के छात्र्ाों से वैदिक-गणित को सीखने की अपील करते हुए कहा कि हमें अपने मूल की ओर लौटना होगा, अपनी ज्ञान-परम्परा को सुदृढ़ बनाना होगा।
अतिथि स्वागत प्रो0 पूनम सिंह ने किया। कार्यशाला का प्रतिवेदन डॉ0 दीपक कुमार शर्मा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो0 मिश्री लाल ने किया। इस सत्र्ा का संचालन डॉ0 रविकांत त्र्ािपाठी ने किया।
इस दस दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक-गणित कार्यशाला में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के विभिन्न परिसर, जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी, कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक, महाराष्ट्र सोवन सिंह जीना विश्वविद्यालय, हल्द्वानी, उत्तराखण्ड, महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय, उज्जैन (म0प्र0), छत्र्ापति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर (उ0प्र0), श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, वेरावल, गुजरात, नालन्दा विश्वविद्यालय, राजगीर, बिहार समेत सम्पूर्ण भारतवर्ष से अनेक प्रान्तों से अनेक महाविद्यालयों से 153 प्रतिभागियों ने प्रतिभागिता की।
अत्यन्त गौरवास्पद है कि इन प्रतिभागियों मंे सर्वाधिक संख्या आचार्यों की रही।
इस कार्यशाला का लक्ष्य छात्र्ाों को भारतीय विद्याआंे की ओर आकृष्ट करते हुए विश्ोषतः वैदिक-गणित के क्ष्ोत्र्ा, उसकी उपयोगिता तथा वर्तमान परिदृश्य में उसके अनुप्रयोग एवं भारतीय प्राच्यविद्याआंे मंे अनुसंधान की नूतन दिशा प्रदान करने का था। प्रतिभागियों की प्रतिपुष्टि को देखते हुए अत्यन्त हर्ष का अनुभव हो रहा है कि संस्कृत-विभाग, डी.ए.वी.पी.जी. कॉल्ोज, वाराणसी इस कार्यशाला के परिणाम से तुष्ट है तथा इसका वास्तविक परिणाम समस्त प्रतिभागियांे के मन-मस्तिष्क में स्थापित है इसकी समीक्षा हम उन्हीं के कर-कमलों मंे समर्पित करते हैं।
संस्कृत विभाग के तत्वावधान में बंगलूरु कर्नाटक से आयी  सावित्री राव एवं  उनकी सहयोगिनी विदुषियों ने श्री शंकरभगवतपाद विरचिता सौंदर्य लहरी का महाविद्यालय में संस्कृत भाषा एवं अन्य  जिज्ञासु छात्रों को सस्वर पाठ करवाया एवं  स्त्रोत पाठ हेतु हम सभी को 27 मार्च 2022  का आमंत्रण भी दिया, और भगवान श्री शंकराचार्य जी के भव्य स्वरूप को भेंट किया |  श्रृंगेरी मठ की ओर से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 27 मार्च को आयोजित सौंदर्य लहरी स्तोत्र पाठ में पीएम मोदी भी शामिल होंने की संभावना है| राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष संघचालक मोहन भागवत भी जनआस्था से जुड़े आयोजन में शामिल होंगे। इस खास अनुष्ठान में देश भर से दस हजार से अधिक साधु-संत, बटुक व वैदिक ब्राह्मण जुट रहे हैं।