डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के मनोविज्ञान विभाग में स्टूडेंट ओरियंटेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसका विषय ’’मनोवैज्ञानिक ज्ञान कौशल और करियर निर्माण’’ था। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. बी.सी.कर (साइंटिस्ट,
डीआरडीओ) थे। उन्होंने कहा कि मनोविज्ञान के जरिए हम अपने को खुद खुश रख सकते हैं और दूसरों को भी खुश रख सकते हैं। इसलिए इसके स्वरूप जीवन जीने में काफी सहायता मिलती है।
मनोविज्ञान से ही हमें जीवन में बेहतर निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। मनोवैज्ञानिक परामर्श दैनिक जीवन की समस्याओं के समाधान में सहायक होता है आज वर्तमान की अति व्यस्त जीवनशैली और तनावपूर्ण माहौल में व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ भी कर रहा है इसमें मनोविज्ञान की भूमिका देवदूत जैसी है।
मनोविज्ञान एक नई दृष्टि देता है और इसका मूल मंत्र है कि दृष्टि बदलो तो सृष्टि बदल जाती है। मनोविज्ञान के माध्यम से खुश रहने के तरीकों का भी वर्णन डॉ बीसी कर ने किया। और कहा कि जीवन में यदि खुश रहना है तो रोमांचक बदलाव लाएं और इससे व्यक्ति उर्जावान महसूस करता है।
इस सेमिनार की अध्यक्षता मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्य गोपाल जी ने किया तथा कहा कि मनोविज्ञान
एक जीवन जीने की कला है और इसी मनोविज्ञान से व्यक्ति में रचनात्मकता आती है। हमारी जीवन की सार्थकता मनोविज्ञान के जरिए सिद्ध होती है। धीरे-धीरे ज्ञान की विभिन्न शाखाओं पर मनोविज्ञान का प्रभाव महसूस होने लगा हैं। और यह अन्य विषय की समस्याओं को भी समझने में उपयोगी हो रहा है । जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को मनोविज्ञान जरूर पढ़ना चाहिए यह ऐसा विषय है जो मनुष्य के जीवन के प्रत्येक पहलू को एक वास्तविक दृष्टिकोण से समझता है। इस कार्यक्रम में अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डॉ ऋचा रानी यादव ने किया तथा कार्यक्रम में डॉ.कल्पना सिंह, डाॅ. अखिलेंद्र सिंह, डॉ. कमालुद्दीन शेख, डॉ. राजेश झा, प्रशांत रघुवंशी आदि उपस्थित थे ।
डी.ए.वी. पी.जी. कालेज के मनोविज्ञान विभाग में विश्व अल्जाइमर डे सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय ’’ अल्जाइमर और डिमेंशिया साथ-साथ ’’ था।
जिसके मुख्य वक्ता प्रोफेसर के. एस.सेंगर (रिनपास, रांची) थे। उन्होने कहा की अल्जाइमर में देखभाल करने वालों का उत्तरदायित्व बढ़ जाता है। शुरुआती दौर में डिमेंशिया का असर कम होता है इसलिए लोग पहचान नहीं पाते और बाद में सोचने समझने की शक्ति धीरे – धीरे कम होने लगती है । इसके लिए एक योजनाबद्ध तरीके से देखभाल की आवश्यकता पड़ती है।
परिवार तथा समाज ऐसे व्यक्ति को सार्थक, गरिमा पूर्ण और आत्मनिर्भर जिंदगी के लिए मदद कर सकते हैं। इसके साथ सबसे पहले समय तथा स्थान का बोध कराना चाहिए । ऐसे व्यक्तियों की देखभाल में कभी भी गुस्सा नहीं दिखाना चाहिए और अपने मन- मस्तिष्क को सक्रिय रखना चाहिए ।यह बिमारी बढ़ती उम्र के साथ साथ कम उम्र (42-50) में भी हो सकती है । ॅ.भ्.व्. की रिपोर्ट के मुताबिक 6-7ः संभावना कम उम्र में होने की होती हैं । इसके लिए स्ट्रेस लेवल कम रखने की आवश्यकता है।इस कार्यक्रम के प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने शुभकामनाएं प्रेषित की और कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यगोपाल जी ने किया और
उन्होंने कुछ नैदानिक उपकरण की चर्चा की जो अल्जाइमर के रोगियों को पहचानने में मददगार साबित हो सकती है।इस कार्यक्रम का संचालन डा. ॠचा रानी यादव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डा. अखिलेंद्र कुमार सिंह ने किया, कार्यक्रम में डॉ. कल्पना सिंह और कमालुद्दीन शेख एवं प्रशांत रघुवंशी भी मौजूद थे ।
डीएवी पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग और इंडियन एकेडमी आफ मेंटल हेल्थ के संयुक्त तत्वाधान में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया गया,
जिसका विषय बदलते भारत में मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता था । जिसके मुख्य वक्ता के रूप में मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी लंदन के प्रोफेसर विमल शर्मा थे, जिन्होने कहा कि अगर खुश रहना है तो इन पांच बातों का पालन करें :-
– रोज के कार्यों को ठीक तरह रेगुलर करें
– एक्सरसाइज करें
– किसी की बुराई न करें
– अपने आस पास की सुंदर प्रकृति और अच्छे दोस्त,लोग आदि के लिए आभारी रहें
– जीवन में एक दूसरे से कम्युनिकेशन बनाए रखें।
प्रोफेसर जे.यस.त्रिपाठी बीएचयू ने सभी का स्वागत किया और कहा कि विभिन्न प्रकार के योग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है ।कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यगोपाल जी ने कहा कि
मानसिक स्वास्थ्य की सुविधा गावों में नहीं इसलिए असमानताएं हैं। वहाँ टेलीमेंटल हेल्थ सुविधा प्रदान किया जा सकता है। मानसिक विमारियों की पहचान के लिए गांवों में बवनदेमससवत की नियुक्ति की जाय जिससे कि लोगो को आसानी से अवेयर किया जा सके। नशाखोरी गांवों में ज्यादा हो रही है उसके लिए उसके दुष्परिणामो के सम्बंध में बड़े बड़े होर्डिंग लगाए जाएं। बच्चों के स्कूल में वैलनेस सेंटर हों और स्कूल लेवल पर उनकी स्क्रीनिंग की जाय।डा. ऋचा रानी ने प्दकपंद ंबंकमउल व िउमदजंस ीमंसजी की मुख्य लक्ष्यों को बताया जिससे कि धरातल तक मानसिक स्वास्थ्य
की सुविधाएं लोगो को मिले और लोग खुलकर अपनी समस्याओं को शेयर करें।डॉ लक्ष्मण यादव ने कार्यक्रम का संचालन किया और राजेश जैन ने धन्यवाद दिया। इस पूरे कार्यक्रम में पार्टिसिपेंट ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए एक्सपर्ट्स से अपनी राय मांगी।

Dr. Rakesh Jain

Dr. H.S. Asthana

Prof. Amool Jain

Dr. Ashok Rai