दिनांक 22/07/2023 शनिवार को डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीतिक विज्ञान विभाग की ओर से चलाए जा रहे मानवाधिकार विषय पर सर्टिफिकेट कोर्स का समापन सत्र संपन्न हुआ । जिसमें मुख्य अतिथि बीएचयू विधि संकाय के प्रोफेसर डॉक्टर अजय सिंह ने सर्टिफिकेट कोर्स कर रहे विद्यार्थियों को “भारतीय परिपेक्ष्य में मानवाधिकार” पर अपना उद्बोधन दिया । उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों का इतिहास मानव की सभ्यता के इतिहास के साथ शुरू होता है। मानवाधिकार के संबंध में सामान्यता दो विचार प्रचलित हैं । पहला विचार जिसके अगुबा जॉन लॉक थे उसके अनुसार माना जाता है कि मानवाधिकार कानूनों से परे हैं तथा कानून मानवाधिकार से जन्मे है । जबकि दूसरे विचार के प्रवर्तक ऑस्टिन है जो मानते हैं कि मानव अधिकार कानून से जन्मे है । मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के एक्ट 2(D) को भारत में मानवाधिकारों का मुख्य स्रोत माना जाता है परंतु यह अधूरा है जिसको समय समय पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बहुआयामी बनाने का प्रयास किया है। अपने तमाम फैसलों और टिप्पणियों के माध्यम से जीवन के अधिकार को बहुआयामी बनाकर तथा उसमें शिक्षा के अधिकार , खाद्यान्न के अधिकार , पेय जल के अधिकार , निशुल्क कानूनी सहायता , आवास के अधिकार आदि को जोड़कर सर्वोच्च न्यायालय ने मानवाधिकारों को और अधिक विस्तृत किया है । कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रियंका सिंह ने की। कार्यक्रम में डॉक्टर स्वाति नंदा , डॉक्टर प्रतिमा गुप्ता, गौरव मिश्रा तथा उत्सव , सोनू निगम, दिव्यानी , मनिका, दिव्या, ज्ञानचंद , प्रभात, निखिल , आलोक समेत आदि विद्यार्थी उपस्थित रहे कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ राकेश मीणा ने किया ।
शुक्रवार को डीएवीपीजी कॉलेज वाराणसी के राजनीतिक विज्ञान विभाग की ओर से ” समकालीन समय में नेपाल में राजनीतिक विकास : मुद्दे एवं चुनौतियां ” विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में नेपाल मामलों के विश्वविख्यात विशेषज्ञ प्रोफेसर एस डी मुनि ने अपने विचार रखें . डॉ0 मुनि ने कहा कि यह सच है कि नेपाल वर्तमान समय में राजनीतिक अस्थिरता के दौर से होकर गुजर रहा है परंतु यह भी सत्य है कि नेपाल में पिछले 20 वर्षों में जो क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं वे अद्वितीय और अभूतपूर्व है। यहां ढाई सौ वर्ष पुराने राजतंत्र का अंत हो गया तथा माओवादी विचार का भी देश की आम धारा में मिलान हो गया । यह दो घटनाएं न सिर्फ नेपाल अपितु एशिया के लिए भी पहले कभी ना होने वाली घटनाएं थी। इन दोनों घटनाओं ने पुरानी संस्थाओं व मान्यताओं को दफन कर दिया । क्योंकि क्रांतिकारी परिवर्तन और गतिशीलता से नेपाल उठ कर खड़ा हुआ है संभवत उसे अगले 25 वर्ष पुनः संस्थाओं को स्थापित करने मे लग जाएंगे । नेपाल में अस्थिरता का एक बड़ा कारण राजनीतिक दलों में अंदर से बिखराव भी है । वर्तमान में देश के सभी राजनीतिक दल मान्यताओं , विचारधाराओं को त्याग चुके हैं उनका सिर्फ और सिर्फ उद्देश सत्ता की प्राप्ति है । वर्तमान समय में नेपाल में राजनीतिक नेतृत्व कमजोर है। सत्ता की रेवड़ी के चक्कर में जनता के मुद्दों को दरकिनार कर दिया गया है। नेपाल में स्थापित पश्चिमी स्वार्थ और आमजन के हितों में स्पष्ट का टकराव भी देखा जा सकता है । नेपाल की राजनीति को प्रभावित करने वाला तीसरा मुख्य कारक बाहरी हस्तक्षेप है जिसमें मुख्यता भारत, चीन और अब संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल है । भारत और चीन की प्रतिस्पर्धा नेपाल की राजनीति में खुलकर सामने आ रही है । हालांकि यह स्पष्ट है कि भारत का रोल परिवर्तन करने का रहा है लेकिन भारत को संस्थाओं को स्थाई बनाने के लिए और मजबूती से प्रयास करने की आवश्यकता है तथा भारत को नेपाल के संबंधों में ऐसी किसी भी गलती को दोहराने से बचने की आवश्यकता है जिसका लाभ चीन नेपाल में भारत विरोध की लहर के पीछे उठा सके । कार्यक्रम में प्रोफेसर डीपी सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा की ” नेपाल भारत और चीन जैसी दो महाशक्तियों के बीच स्थित एक राज्य है । नेपाल में वर्तमान में आर्थिक चुनौतियां, व्यापारिक घाटा , बेरोजगारी आदि प्रमुख मुद्दे हैं लेकिन राजनीतिक अवसरवाद के कारण यह मुद्दे नेपाल की राजनीति प्रश्नावली से गायब हैं। चीन अपने हितों को पूरा करने के लिए तथा भारत विरोध में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए लगातार नेपाल में अपना निवेश कर रहा है । उन्होंने नेपाल में भारत तथा चीन द्वारा किए गए निवेश में अंतर करते हुए भारत द्वारा दिए गए निवेश को ग्रांट तथा चीन द्वारा दिए गए निवेश को लोन के रूप में स्पष्ट किया । प्रोफेसर एस बी सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि नेपाल में वर्तमान में केंद्र सरकार से लेकर स्थानीय शासन तक लगभग 761 सरकारें काम कर रहे हैं नेपाल के नए संविधान में स्थानीय स्तर पर राजनेताओं को तो खड़ा कर दिया है परंतु उन्हें सहायता प्रदान नहीं की है जो कि नेपाल में चल रहे वर्तमान गतिरोध का एक प्रमुख कारण है साथ ही उन्होंने सेमिनार में आए सभी शोधकर्ताओं से यह भी अपील करी कि नेपाल के साथ संबंधों का अध्ययन करते हुए हमें किताबों से अधिक व्यावहारिक परिपेक्ष को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में 3 तकनीकी सेशन भी संपन्न कराए गए जिसमें सभी शोधकर्ताओं ने अपने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए । कार्यक्रम में समापन सत्र में डॉ संजय श्रीवास्तव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मुक्ता चार मुद्दे जो वर्तमान में नेपाल में गतिरोध का मुख्य कारण है वह क्रमशः आर्थिक विकास का अभाव , समावेशी तथा अनन्य, समुदायों के बीच मतभेद तथा बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यकों के मुद्दे हैं । सेमिनार में लगभग 3 दर्जन से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए । कार्यक्रम में का कार्यक्रम सचिव डॉ राकेश मीणा डॉ स्वाति नंदा डॉ प्रतिमा गुप्ता विभागाध्यक्ष डॉ प्रियंका सिंह डॉ पुनीता पाठक आदि मौजूद रहे ।
The induction session for the newly admitted students of the MA previous class was organised on Dt.04.12.2020. The session began with Dr. Swati S. Nanda informing the students about the college and the department of Political Science and the faculty members. The Guest Speaker of the session, Prof. R.P. Pathak (Ex-Dean, Faculty of Social Science, BHU & ex-HoD, Political Science, BHU), was welcomed by Dr. Nanda on behalf of the department.
Prof. Pathak began his address by congratulating the students for having chosen Political Science as their subject. He warned that the subject, that has been termed as the Master Science by Aristotle bestows certain duties and responsibilities on the students. This implies understanding each of the concepts and issues related to politics. Secularism and multiculturalism, for instance, cannot be considered as mere ideas but as realities that people live. Expanding his views, he stated that political theories tend to not only respond to the political  and social realities but also have the potential to act as guides to the future.  Students must study not only what is given in the syllabus but always try to go beyond it.  He stressed that there have been times when new systems were required to be built, and history bears testimony to the fact that students of Political Science have acted as frontline leaders in many such cases.
Prof. Pathak emphatically stated that students of Political Science have a responsibility to bring a civilized state into being. Therefore, it is very important that students should study the Constitution of the our country very carefully. The Constitution of India is not only the best document of its type in the entire world but also best for India. Prof Pathak turned his attention towards the teachers asking them to always remember their responsibilities of creating a new generation that respects the constitution.
The learned speaker stated that Covid-19 has come as a shock to all of us. The economy is in shambles. Here too, Political Scientists have a responsibility— of evolving new models of good governance that can beat such shocks.  He said that students should study each of the papers not just as readers but as experts. They should have their opinion but it should be properly informed by studies. For example, one must study NAM, Panchsheel prior to giving opinion about Contemporary India’s standing on the international arena.  He stressed that all students should have a heart for the marginalized sections of the society. The plight of the labourers, farmers must be understood not merely from the State’s perspective but also the perspective of the people. Various new disciplines have emerged with such ideas that have led to policy changes. Prof. Pathak concluded by saying  that while it is important to be radical in heart, it is also important to understand the importance of continuity for the life of a nation.
The address by the scholarly speaker was followed by a long questions answer session. Questions ranged from clarification over points, issues, concepts to inquiries about the various career opportunities for students of Political Science.
The session ended with Ms. Priyanka Singh offering the vote of thanks to Prof. R.P. Pathak.
The lecture began with Dr. Swati S. Nanda welcoming the learned scholar Prof. Abhinav Sharma to deliver the lecture on Public Administration and its contours. Prof. Sharma started his lecture by focussing on the background against which Public Administration evolved as a university subject. Focussing on Woodrow Wilson’s ideas of separating administration from politics, he delved deep into the way this dichotomy has been understood and used by next generation of public administration scholars. He also focussed on the status of public administration as a subject in the contemporary period.Prof Sharma took the opportunity to inform the students about the career opportunities that public administration offers as a subject. Its importance both as a research area and for competitive examinations was dealt in detail.The session was opened for students’ questions. Questions ranged from concepts to tips on how to prepare for competitive examinations. Prof. Sharma provided answers to the questions with patience.
The vote of thanks for the session was given by Ms. Priyanka Singh.
This workshop was undertaken with a view to inform the students about the processes involved in government budgeting as well as the current trends in the area of budgeting. The department of Political Science roped in a prominent organisation of India, known as the Centre for Budget and Governance Accountability (CBGA),  working in this area. The online workshop began with Dr. Swati Nanda welcoming the members of the CBGA to the college. Dr. Nanda also took the opportunity to introduce the topic to the students by linking the utility of the workshop to the students’ understanding of financial administration in the country. Dr. Simonti Chakraborty, Senior Programme Officer of CBGA, began the session by showing a short animated Hindi movie about the budget basics to inform the students about the various phases of the budget cycle in India. Dr. Nilachal Acharya, Research Lead and Thematic Lead – Fiscal Transparency of CBGA, discussed the different types of budgeting undertaken by governments such as the line-item budget, performance budgeting, zero-base budgeting. He did so by giving examples of different states. The next session was again taken up by Dr. Nilachal Acharya who focused on the Union Budgeting and State budgeting in India. He also discussed some of the important points of union budget of the year 2021. Next session was handled by Dr. Simonti Chakraborty who focussed on the budgetary strategies for equity and inclusion. This session focussed on new areas in budget such as gender budgeting and gender audit. Dr. Chakraborty encouraged the students to read more about this area as it would help them to understand women’s issues from a new viewpoint. She also showed a short video of 3 minutes at the end of the session on an open data portal on budgets in India called the Open Budgets India (https://openbudgetsindia.org). Closing remarks of the session were given by Dr. Subrat Das who took the opportunity to inform the students about the kind of work that CBGA does and the need for budget advocacy among Indian citizens that will go a long way in making democracy even stronger.The resource persons too utmost care to make the workshop as interactive as possible. Students were encouraged to ask questions at the end of the session. Questions ranged from career opportunities in contemporary period to understanding the newer trend of budgeting.
This lecture was organised with a view to inform the students about the concept of Public policy as well as its practical aspects. The resource person for the session was Dr. Pradip Parida of the Department of Political Science, BHU. The lecture session began with Dr. Swati Nanda welcoming and introducing the learned resource person. In his address, Dr, Parida discussed the various phases of the policy cycle and the various agencies involved in the process. He particularly focussed on the executive organ of the government and discussed the various processes at work while public policy is implemented.Dr. Parida also discussed the various agencies that work in the area of public policy research in India. He concentrated on the Indian Institute of Public Administration (IIPA) that was established with a focus on training the Indian administrators and providing them with inputs on public policy based on research being conducted by the agency itself. Dr. Parida drew on his own experience of being associated with the IIPA and discussed the various kinds of researches taken up by the organisation in the area of public policy.Students asked a number of questions relating to public policy as a research area at the end of the session. Vote of thanks for the session was proposed by Dr. Priyanka Singh.
A lecture session was arranged by the Department of Political Science on Revolutionary Violence in India and Nepal on 9th June. The resource person for the session was Prof. T.P. Singh, Senior Professor of Political Science, BHU. The session began with Dr. Swati Nanda welcoming the revered guest and introducing the topic. Dr. Nanda also informed that the lecture was based on demands of students to understand the various revolutionary movements within India with a special focus on Maoist movement as it was part of their course. Prof. T. P. Singh  began by focusing on revolutionary movements in pre-independent India driven by nationalistic sentiments. He discussed the various kinds of movements during that phase that included Indian National Congress, Hindu Mahasabha and the Marxist parties. Prof. T.P. Singh went on to show the difference between movements of pre- and post-independent India by focussing on the movements of the later period as driven by lack of development and lack of social inclusivity. With this, Prof. Singh focused on Maoist movement that has been waged by the banned PWG in many states of India. He discussed the gradual geographical expansion of the movement and the causes for it. He stated that while the movement maintained the façade of a justice movement , it was actually a movement that involved greed and corruption. Violence and anti-state nature of this movement has made it a movement that needs to be urgently suppressed. He praised the actions of the present Government of India in tackling the movement. The floor was opened for question-answer session after the lecture. Students asked questions from various perspectives. Many of them wanted to know more about the issues that Maoists have while others wanted to know about their funding. Prof. T.P. Singh answered all the questions with patience. Vote of thanks was proposed by Dr. Pratima Singh.
A lecture was organised by the Department of Political Science on Conflicts in Latin America by Dr. Anshu Joshi, Assistant Professor of School of International Studies, JNU. The guest was welcomed by Dr. Swati Nanda. In her lecture, Dr. Joshi began by informing the students about the complexities of studying Latin America. She went on to discuss the many forms of political disorder from insurgent groups vying for territorial control in Colombia and cartel violence fuelling the rise of vigilantes in Mexico, to the suppression of dissent in Nicaragua and Venezuela. She also discussed how each country’s disorder is shaped by factors unique to its local political landscape, the region also faces common threats. Gang activity stemming from drug trafficking is widespread, generating instability across El Salvador, Honduras, Mexico, Brazil, and more. In these countries, gang violence has risen to a point where it directly threatens public safety and security, and where gangs challenge the state for control of territory. While Dr. Joshi discussed the various local levels of conflicts in the region, she also drew attention towards the fact that Latin America should be seen as a region that has very less inter-state conflict.  She also focussed on the role of the UN in maintaining the status quo in the region. The session was followed by a question-answer session in which students asked questions about various states and their issues. Vote of thanks of the session was given by Dr. Priyanka Singh.
13 जून 2021 को डॉ आशीष शुक्ला, सहायक प्रोफ़ेसर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति विभाग, एमिटी युनिवर्सिटी, नोएडा द्वारा पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति विषय पर व्याख्यान दिया गया. इस व्याख्यान का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग, डी ए वी पीजी कालेज, बीएचयू द्वारा किया गया. डॉ शुक्ल ने पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और भारत के साथ संबंधों पर व्यापक रूप से अपने विचार प्रकट किये. उन्होंने पाकिस्तान में लोकतंत्र से सैनिक तानाशाही के बदलाव को बताया और बाद में लोकतंत्र की आड़ में सेना का देश की राजनीति में दखल कैसे हो रहा है, इस मुद्दे पर भी चर्चा की. वक्ता ने यह भी कहा कि  भारत और पाकिस्तान के संबंधों का ऐतिहासिक आयाम अविश्वास, वादे तोड़ने और अनसुलझे विवादों पर आधारित रहा है. आयोजन के अंत में प्रश्नोत्तर काल में काफी सवाल पूछे गये और डॉ. शुक्ल ने संतोषजनक जवाब दिए. इस व्याख्यान का आयोजन और सञ्चालन डॉ. राकेश कुमार मीना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रियंका सिंह ने दिया. कार्यक्रम में विभाग की अध्यक्षा डॉ स्वाति सुचरिता नंदा, वरिष्ठ प्रोफ़ेसर शिव बहादुर सिंह एवं डॉ प्रतिमा गुप्ता की सक्रिय भागीदारी रही. इस व्याख्यान में लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
14 जून 2021 को डॉ श्रीस कुमार पाठक, सहायक प्रोफ़ेसर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति विभाग, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा द्वारा भारतीय लोकतंत्र और नागरिकों के अधिकार नीति विषय पर व्याख्यान दिया गया. इस व्याख्यान का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग, डी ए वी पीजी कालेज, बीएचयू द्वारा किया गया. डॉ पाठक ने अधिकारों के इतिहास पर चर्चा शुरू की और बताया कि कैसे ग्रीक नगरों में प्लेटो और अरस्तू के दौर में नागरिक अपने अधिकारों का उपयोग करते थे. इसके बाद उन्होंने सभी राजनितिक विचारकों के इतिहास में अधिकारों को रेखांकित किया. इसके बाद उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में नागरिकों के अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया. आयोजन के अंत में प्रश्नोत्तर काल में काफी सवाल पूछे गये और डॉ. मिश्र  ने संतोषजनक जवाब दिए. इस व्याख्यान का आयोजन और सञ्चालन डॉ. राकेश कुमार मीना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विभाग की अध्यक्षा डॉ स्वाति सुचरिता नंदा ने दिया. कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफ़ेसर शिव बहादुर सिंह, डॉ प्रियंका सिंह  एवं डॉ प्रतिमा गुप्ता की सक्रिय भागीदारी रही. इस व्याख्यान में लगभग 90 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
15 जून 2021 को डॉ सीताकांत मिश्र, एसोसिएट प्रोफ़ेसर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति विभाग, पंडित दीनदयाल उर्जा विश्वविद्यालय, गुजरात द्वारा भारत की परमाणु नीति विषय पर व्याख्यान दिया गया. इस व्याख्यान का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग, डी ए वी पीजी कालेज, बीएचयू द्वारा किया गया. डॉ मिश्र ने भारत की परमाणु नीति के विकास का क्रमवार वर्णन प्रस्तुत किया.
भारत में वर्ष 1948 से परमाणु उर्जा आयोग की स्थापना से लेकर वर्ष 2008 में अमेरिका से हुई सिविल न्यूक्लियर डील तक भारत की परमाणु नीति के महत्व को रेखांकित किया. इसके अतिरिक्त डॉ मिश्र ने विश्व की परमाणु शक्तियों के परीक्षणों के बारे में बताया और साथ ही भारत और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों एवं परीक्षणों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अब परमाणु बमों की संख्या नहीं केवल परमाणु शक्ति होना ही पर्याप्त है क्योकि इसका भी और नुकसान मानवता के लिए उतना ही है. आयोजन के अंत में प्रश्नोत्तर काल में काफी सवाल पूछे गये और डॉ. मिश्र  ने संतोषजनक जवाब दिए. इस व्याख्यान का आयोजन और सञ्चालन डॉ. राकेश कुमार मीना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विभाग की अध्यक्षा डॉ स्वाति सुचरिता नंदा ने दिया. कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफ़ेसर शिव बहादुर सिंह, डॉ प्रियंका सिंह  एवं डॉ प्रतिमा गुप्ता की सक्रिय भागीदारी रही. इस व्याख्यान में लगभग 90 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
16 जून 2021 को डॉ दीपिका सारस्वत, रिसर्च फेलो, इंडियन कौंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स, सप्रू हाउस, नई दिल्ली द्वारा इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष विषय पर व्याख्यान दिया गया. इस व्याख्यान का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग, डी ए वी पीजी कालेज, बीएचयू द्वारा किया गया. डॉ सारस्वत ने इजरायल फिलिस्तीन के झगडे के ऐतिहासिक पहलुओं को सामने रखते हुए कहा कि इस्राइल और फिलिस्तीन के बीच के मतभेद की शुरुआत ओटोमन साम्राज्य के खत्म होने के साथ होती है. इस दौरान पूरे यूरोप में राष्ट्रवाद का व्यापक प्रभाव देखा जा रहा था. कई देश टुकड़ों-टुकड़ों में बंटे थे. राष्ट्रवाद की लहर इन्हें एक कर रही थी. इटली और जर्मनी जैसे देश राष्ट्रवाद के नाम पर एक हो रहे थे. इसका प्रभाव यहूदियों के बीच भी देखने को मिला. राष्ट्रवाद की भावना यहूदी लोगों के बीच जगी. उन्हें अपने पवित्र स्थान पर दोबारा जाकर बसने की लालसा उठी. इसके अलावा उन्होंने 1948 और 1967 के युद्धों के बारे में भी बताया. वर्तमान में हो रहे आपसी संघर्ष को भी रेखांकित किया. आयोजन के अंत में प्रश्नोत्तर काल में काफी सवाल पूछे गये और डॉ. मिश्र  ने संतोषजनक जवाब दिए. इस व्याख्यान का आयोजन और सञ्चालन डॉ. राकेश कुमार मीना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रतिमा गुप्ता ने दिया. कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफ़ेसर शिव बहादुर सिंह, डॉ प्रियंका सिंह  एवं विभाग की अध्यक्षा डॉ स्वाति सुचरिता नंदा की सक्रिय भागीदारी रही. इस व्याख्यान में लगभग 80 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
Prof. Kondapalli brought into light China’s rise over the past two decades. He highlighted the fact that the landscape of global politics is undergoing the process of transformation. China rapidly transformed its economy from a low-cost “factory to the world” to a global leader in advanced technologies. Along the way, it has transformed global supply chains, but also international diplomacy, leveraging its success to become the primary trading and development partner for emerging economies across Asia, Africa and Latin America.But along with these developments Beijing’s emergence as a global power has also created tensions. Xi has overseen a domestic crackdown on dissent, in order to shore up and expand the Chinese Communist Party’s control over every aspect of Chinese society. The world need to understand that this is the ‘New world Order’ and China will continue to flex its muscles with the same pace, the world needs to adjust to these changing circumstances.
A lecture was organized by the Department of Political Science on Environmental Conflict and its Management keeping in view the importance of environmental awareness in the contemporary period. What also prompted the department to organise the lecture on the topic was the existence of environment as a cross-cutting theme in many papers being taught. Prof. Manoj K. Mishra, Coordinator of Malviya Center for Peace Research (MCPR), was the resource person for the session. Prof. Mishra began his lecture by discussing the various concepts related to environment such as ecology and natural resource. Then, he went on to discuss how environmental conflicts have become a major trend among scholars researching on the discipline of  conflict and peace studies. In his lecture, he focussed on the various aspects of environmental conflicts such as the regions where such conflicts are mostly found and the critical issues such as water, pollution. He then, focused on various steps being taken by the international agencies to tackle this. Special mention was made of the programmes by the United Nations and its programmes such as the United Nations Environmental Programme (UNEP). He also discussed the various international conventions and agreements such as the Kyoto Protocol and the Paris Agreement. He took special care to inform the students about the different perspectives on environmental management that exist in the international arena. The concluding part of his lecture was devoted to the Indian stand on environmental problems in the international arena. The lecture was followed by a question-answer session in which many students participated. Vote of thanks was offered by Dr. Priyanka Singh.
A lecture was organised by the Department of Political Science on Collective Security. The resource person for the lecture was Prof. Sanjay Srivastava, Senior Professor from the Department of Political Science, BHU. Prof. Srivastava began by explaining the concept of collective security with a focus on the historical aspects. He sought to distinguish it from regional alliances such as the North Atlantic Treaty Organization (NATO). Then he went on to inform the students that various UN provisions relating to Collective Security. Prof. Srivastava devoted the second part of his lecture to India‘s perspective on Collective Security. He stated that India’s perspective on collective security has evolved since her status as a founding member of the League of Nations under the British Empire, where India agreed to an early version of this policy. This was continued even after independence and with the change of guard in the international arena from the League of Nations to the United Nations. Prof. Srivastava also focussed on the challenges that come in the way of Collective security. He concluded his lecture by focussing on India’s efforts to push for a more inclusive structure of the United Nations that would make collective security provisions more effective. The session was followed by a question-answer session. Vote of thanks for the session was offered by Dr. Rakesh Kumar Meena.
A lecture on Women in Indian Political Thought by Dr. Priyanka Jha (Department of Political Science) was conducted by the Department of Political Science. The lecture began with Dr, Swati Nanda welcoming the learned guest and introducing the topic to the students.  In her lecture, Dr. Jha focused on why women are seen as outsiders in political thought. She drew attention towards both western and Indian traditions to show how women have been systematically kept away from disciplines. She spoke of Rousseau and Hobbes who were explicit about their dislike for women to be given space in thought. In Indian traditions too, women were kept away systematically by a binary division called public and private. Then she went on to show how the same trend continues in contemporary times. While many women have made their marks in India by not only expressing systematic thoughts on various issues in India, they are often ignored by scholars. Dr. Jha showed how androcentrism is considered to be the rule in Indian scholarship which is reflected the way syllabus is framed and taught in the universities. She focussed on Kamladevi Chattopadhyay as an example of how  women in India have held their views. The session was well-received by the students who considered it as an eye opening lecture. The lecture was followed by questions on gender inequality and how to get rid of it. Dr. Jha answered the questions very patiently. Vote of thanks for the session was offered by Dr. Pratima Gupta.
Dr. Ghosh brought into the picture the ‘Great Game’ between U.S. and China by citing historical events and predicting future discourse. She mentioned that the Great Game conjures up the images of a complicated chess match between great powers. She also highlighted the fact that U.S.-China competition is over regional and global order, outlines what Chinese-led order might look like, explores why grand strategy matters and how to study it, and discussed competing views of whether China has a grand strategy. She argued that China has sought to displace America from regional and global order through three sequential “strategies of displacement” pursued at the military, political, and economic levels. The first of these strategies sought to blunt American order regionally, the second sought to build Chinese order regionally, and the third — a strategy of expansion — now seeks to do both globally. She also explained that shifts in China’s strategy are profoundly shaped by key events that change its perception of American power because the key to defeating an opponent’s strategy is first to understand it and China has understood America in a much better way that other’s couldn’t. Now it is on US to pursue order-building as well as reinvesting in the very same foundations of American global order that Beijing presently seeks to weaken because there is need to have balance of power and rules based order in the world.
आज दिनांक 3 सितम्बर 2021 को अफगानिस्तान में तालिबान: दक्षिण एशिया क्षेत्र के निहितार्थ विषय पर विशेष  व्याख्यान का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग, डी ए वी पीजी कालेज, बीएचयू द्वारा किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफ़ेसर संजय श्रीवास्तव, राजनीति विज्ञान विभाग, बी एच यू  द्वारा की गयी और वक्ता के रूप में डॉ धनंजय त्रिपाठी, सहायक प्रोफ़ेसर, साऊथ एशिया यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली और डॉ रश्मिनी कोपरकर, सहायक प्रोफ़ेसर, जे एन यू , नई दिल्ली प्रस्तुत हुए. सर्वप्रथम कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर श्रीवास्तव ने अफगानिस्तान में हो रहे बदलाव के बारे में एक संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया. इसके प्रथम वक्ता डॉ धनंजय त्रिपाठी ने तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के कारणों और तालिबान के इतिहास का वर्णन किया. दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए इस बदलाव को ठीक नहीं बताया और भारत के संदर्भ में कहा कि अफगानिस्तान में भारत के काफी निवेश है और भारत को तालिबान से बातचीत के रस्ते बंद नहीं करने चाहिए. इसके बाद दूसरे वक्ता डॉ कोपरकर ने तालिबान शासन में पिछली बार हुई महिलाओं की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला. उन्होंने रुदिवादी तालिबानी हुकूमत में महिलाओं की शिक्षा, स्वतंत्रता और अधिकारों के प्रति चिंता जाहिर की. इस व्याख्यान का आयोजन और सञ्चालन डॉ. राकेश कुमार मीना ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विभाग की अध्यक्षा डॉ स्वाति सुचरिता नंदा ने दिया. कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफ़ेसर शिव बहादुर सिंह, डॉ प्रियंका सिंह  एवं डॉ प्रतिमा गुप्ता की सक्रिय भागीदारी रही. इस व्याख्यान बनारस के सभी अकादमिक संस्थानों से लगभग 150  प्रतिभागियों ने भाग लिया.
19 जून 2021 को डी.ए.वी.पी.जी.कॉलेज (बीएचयू)वाराणसी के द्वारा एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान के वक्ता राजनीति विज्ञान विभाग,दयाल सिंह कॉलेज,दिल्ली विश्वविद्यालय के असोसिएट प्रोफ़ेसर विजय कुमार वर्मा  जी रहे।आज के व्याख्यान का मुख्य विषय ‘कार्ल मार्क्स की द्वंदात्मक भौतिकवाद की संकल्पना एवं उनके विचारों की वर्तमान समय में व्यवहारिकता’ थी।इस व्याख्यान में डा.वर्मा ने निम्न लिखित बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “आज की पीढ़ी के लोग दिल से पूंजीवादी, लेकिन दिमाग से समाजवादी होते हैं।” अर्थात, लोगों की चाह अधिक से अधिक धन का अर्जन करना होता है, वहीं दूसरी ओर समाजवादी राज्य की उम्मीद करते हैं। इसके साथ- साथ उन्होंने यह भी कहा कि आज की पीढ़ी में “कलम को आजाद एवं जीभ को मुखर होने की आवश्यकता है।” साथ ही साथ उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में उन गरीबों  की जिन्होंने एक शहर से दूसरे शहर  पलायन किया , अपनी नौकरियां गवा दी एवं कई  ने अपनों को खो दिया उन सब की दर्द को बयां करते हुए कार्ल मार्क्स के विचारों की  व्यवहारिकता को दर्शाया।आयोजन का काल काफी दिलचस्प रहा, डॉ. वर्मा ने अपनी ज्ञान कि प्रकाश से सभी श्रोताओं को प्रकाशित किया।  आयोजन के अंतिम कड़ी में प्रश्न उत्तर का समय दिया गया जिसमें कई बच्चों ने संबंधित सवाल पूछे,  इस प्रश्नोत्तरी में शामिल सवाल काफी व्यवहारिक थे एवं डॉ. वर्मा ने हर प्रश्न का उत्तर काफी सुसज्जित तरीके से एवं संतोषप्रद उत्तर दिया।इस व्याख्यान का आयोजन एवं संचालन डॉ. प्रतिमा गुप्ता ने, स्वागत डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राकेश कुमार मीना ने किया। इस व्याख्यान में कालेज के वरिष्ठ शिक्षक शिव बहादुर सिंह एवं सुश्री प्रियंका सिंह भी उपस्थित रही। इस व्याख्यान में करीब 60 विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस आयोजन को सफल बनाने का श्रेय आयोजन में शामिल हुए शिक्षक, शिक्षिका एवं विद्यार्थियों को जाता है।
26 जून 2021 को डीएवी पीजी कॉलेज के द्वारा एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया । व्याख्यान के वक्ता भारतीय मूल के अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता(कैलिफोर्निया, यू स ए) मि. मंतोष शर्मा रहे। आज के व्याख्यान का मुख्य विषय भारत- अमेरिकी संबंध में ट्रंप और बायडेन की तुलनात्मक विश्लेषण रहा।  इन्होंने अपनी व्याख्या में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया उन्होंने बताया भारत अमेरिका संबंध वर्षों पुराना है। अमेरिका की आंखें खासकर, वैश्वीकरण के बाद भारत के प्रति खुली एवं उन्हें भारत की बाजारी शक्ति का आभास हुआ और जब भारत ने सन 1998 में परमाणु परीक्षण किया इससे अमेरिका को भारतीय शक्ति का आभास हुआ । इसके साथ ही साथ उन्होंने ट्रंप और वाइडन में तुलना करते हुए दोनों की विशेषताओं पर जोर दिया उन्होंने बताया ट्रंप के आने से भारत की वैश्विक छवि में काफी सुधार हुआ परन्तु भारत-अमेरिका के बीच मात्रात्मक सुधार नहीं हुआ।  उन्होंने बाइडेन की भूमिका को बताते हुए कहा कि उनके आने से भारत अमेरिका  के बीच काफी गुणात्मक के साथ-साथ मात्रात्मक सुधार की आशा है, इसके साथ ही साथ शैक्षणिक क्षेत्र, व्यापारिक क्षेत्र एवं भारतीय मूल के प्रवासियों के लिए काफी अच्छा है। इसके साथ ही साथ उन्होंने अमेरिकी समाज को रेखांकित करते हुए कहा कि “यहां के लोग श्रम को इज्जत देते हैं, व्यवसाय को नहीं।”  आयोजन के अंतिम कड़ी में प्रश्न-उत्तर का समय दिया गया, जिनमें कई विद्यार्थियों ने संबंधित सवाल पूछे इस प्रश्नोत्तरी में शामिल सवाल काफी व्यवहारिक थे।  मिस्टर शर्मा ने सारे सवालों का उत्तर काफी सुसज्जित तरीके से एवं संतोषप्रद रूप में दिया।  इस व्याख्यान का आयोजन एवं संचालन डॉक्टर प्रतिमा गुप्ता एवं स्वागत वरिष्ठ शिक्षक डॉ शिव बहादुर सिंह ने किया, अध्यक्षता डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रियंका सिंह ने किया। इस व्याख्यान में डॉ. राकेश कुमार मीणा भी उपस्थित रहे।  इस व्याख्यान में करीब 95 विद्यार्थियों ने भाग लिया ।
वर्तमान रूस-यूक्रेन समस्या को लेकर डी.ए.वी. पीजी कॉलेज, वाराणसी के द्वारा 8-10, फरवरी को एक ऑनलाइन व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। इस आयोजन का संचालन डॉ. राकेश कुमारवर्तमान रूस-यूक्रेन समस्या विभिन्न परिप्रेक्ष्य विषय पर विशेष व्याख्यान 1 political Scienceमीणा (सहायक प्रोफ़ेसर, राजनीति विज्ञान विभाग), के द्वारा किया गया। इस आयोजन में राजनीतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. स्वाति सुचारिता नंदा , डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. प्रतिमा गुप्ता, एवं अन्य मौजूद रहे।  इस विषय पर आयोजित तीन दिवसीय इस व्याख्यान माला के तीसरे दिन मुख्य अतिथि डॉ. शक्ति श्री चन्दन, सहायक प्रोफ़ेसर, यूरोप अध्ययन केंद्र, जे एन यू, नई दिल्ली रहे। डॉ. श्री चन्दन ने रूस -यूक्रेन के इस संकट ऐतिहासिकवर्तमान रूस-यूक्रेन समस्या विभिन्न परिप्रेक्ष्य विषय पर विशेष व्याख्यान 2 political Scienceकारणों की चर्चा की और इस क्रम में वर्तमान समस्या के मूल कारणों की जड़ तक जाने की कोशिश की. उन्होंने 2014 के यूरी मेदन आन्दोलन और क्रीमिया संकट से इस संघर्ष को जोड़ कर बताया. इसके अतिरिक्त नाटो का इस क्षेत्र में विस्तार और यूक्रेन का नाटों से जुड़ने की सम्भावना भी इस संघर्ष का कारण है. रूस किसी भी हालत में यूक्रेन को नाटो का सदस्य नहीं बनने देना चाहता. इस समस्या से होने वाले वैश्विक भौगोलिक एवं राजनीतिक स्तर पर प्रभावों का विश्लेषण किया गया। डॉ शक्ति ने इस संघर्ष में यूरोप के हितों के बारे में भी बताया. इससे यूरोपीय संघ के आर्थिक हित भी प्रभावित होंगे. इस आयोजन में शामिल विद्यार्थियों को डॉ. मिश्रा के व्याख्यान के बाद संबंधित प्रश्न पूछने का अवसर प्राप्त हुआ इस क्रम में आशीष, अमर, अमित ,अनु , मो. सलमान के साथ-साथ अन्य विद्यार्थियों ने भी प्रश्न पूछे। इस कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ. प्रतिमा गुप्ता ने किया , डॉ. गुप्ता ने इस बात की आशा दिलाई कि भविष्य में ऐसे और भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए एवं वैश्विक स्तर पर हो रहे विभिन्न घटनाओं की विश्लेषण की जाए। इस कार्यक्रम में डी ए वी पीजी कालेज के अतिरिक्त बी एच यू के विभिन्न कालेज और विभागों से संकाय सदस्य और 100 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।

डीएवी पीजी काॅलेज के राजनीतिक विज्ञान विभाग की ओर सेराष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020″ विषय पर आफलाइन कार्यशाला एवं भाषण का आयोजन विभागाध्यक्ष  प्रियंका सिंह की अध्यक्षता में किया गया जिसमें हरियाणा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ संतेश कुमार सिंह ने विस्तृत रुप में अपना व्याख्यान दिया उन्होंने स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान,स्व उत्पन्न आय, स्वायत्त संस्थान, 9वीं कक्षा से कौशल आधारित पाठ्यक्रम, मिशन तक्षशिला और नालंदावर्षों के बीच शिक्षकों का आकलन , शिक्षा शास्त्र(5+3+3+4) आदि सभी पक्षों को समाहित करते हुए अपनी बात रखी उन्होंने कहा NEP 2020 के तहत HHRO द्वाराबुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ () की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों के लिये आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा। स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी। देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों केबहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ (Multidisciplinary Education and Reserach Universities – MERU) की स्थापना की जाएगी।

डाॅ सिंह ने बी. के एक छात्र (आयुष कुमार दुबेके प्रश्न का उत्तर देते हुए यह भी कहा की इस नई नीति में विकलांग बच्चों के लिये क्रास विकलांगता प्रशिक्षण, संसाधन केंद्र, आवास, सहायक उपकरण, उपर्युक्त प्रौद्योगिकी आधारित उपकरण, शिक्षकों का पूर्ण समर्थन एवं प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक नियमित रूप से स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करना आदि प्रक्रियाओं को सक्षम बनाया जाएगा।

कार्यक्रम में डाॅ स्वाति नंदा , डाॅ प्रतिमा गुप्ता , डाॅ अनुप मिश्रा, डाॅ पंकज सोनी तथा शोध विद्यार्थी समेत अन्य छात्रछात्राओं ने भाग लिया कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ राकेश मीणा ने किया

डी.ए.वी. जी. जी कालेज के राजनीति तत्वाधान राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा मानवाधिकार सटीफिकेट कोर्स के प्ररम्भ होने के मौके पर विभाग के द्वारा एक उद्घाटन व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस मौके पर मानवाधिकार मामलों के विशेषज्ञ डॉ० लेनिन रघुवंशी के महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को वैश्विक एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार के महत्व को समझाया। वक्ता ने मानवाधिकार को भारतीय दृष्टी से देखने के विभिन्न मार्ग को भी वर्णित किया। डॉ लेनिन ने भारतीय सनातन धर्म और इसके व्यापक अर्थ वसुधैव कुटुम्बकम की महत्ता पर भी प्रकाश डाला. उपरोक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से आगामी 6 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स में मानवाधिकार के विभिन्न पहलुओं को छात्र-छात्राओं को अध्ययन के क्षेत्र मानवाधिकार के उपयोग हेतू समझाया गया, उक्त मौके पर सर्टिफिकेट के नव प्रवेशी छात्र छात्राएं एवं कॉलेज के समस्त छात्र छात्राए मौजूद रहे, कार्यक्रम का संचालन डॉ राकेश मीना ने किया।  कार्यक्रम के मौके पर विभागध्यक्ष डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. स्वाति नंदा, डॉ. प्रतिमा गुप्ता, श्री गौरव मिश्रा, श्री पीयूष पाण्डेय इत्यादि
डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से संविधान दिवस के अवसर  पर कार्यशाला का आयोजन किया गया । जिसमें बीएचयू के कानून विभाग के  असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर अजय सिंह ने  ” भारत : लोकतंत्र काजननी ” विषय पर अपना संबोधन दिया । अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज संविधान दिवस के अवसर पर देश के हर नागरिक को यह सोचने की आवश्यकता है कि हमने संविधान को क्या दिया । आज का दिन संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है । उन्होंने कहा कि 1134 ईसा पूर्व में ‘अनुभव मंडपम’ के रूप में संविधान  की अवधारणा भारत में देखने को मिलती है । गुरु विश्वेश्वरण द्वारा बनाई गई है मंडली भारत की पहली संसद थी । साथी महाभारत के शांति पर्व में भी गणतंत्र शब्द का उल्लेख हुआ है । वर्तमान में भारतीय संविधान लोकतंत्र का ही परिणाम है तथा लोकतंत्र को जीवंत रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से निभा रहा है । भारतीय संविधान में खोखले और कागजी मूल अधिकार की बात नहीं की गई अपितु अनुच्छेद 32 के माध्यम से संवैधानिक उपचारों का अधिकार देकर नागरिकों के मूल अधिकार अधिक व्यावहारिक बनाने का प्रयास संविधान निर्माताओं ने किया है । समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के आधार पर नागरिकों के अधिकारों को और विस्तृत और व्यापक बनाने का काम भी होता रहा है  इसी का परिणाम है कि आज जीवन के अधिकार में प्रदूषण मुक्त जल का अधिकार भोजन का अधिकार आश्रय का अधिकार विधि सहायता का अधिकार सभी समाहित हो चुके हैं । संविधान दिवस मनाने का मूल उद्देश्य नागरिकों को संविधान के प्रति उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति और अधिक जागरूक व सजग बनाना है । डॉ सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी विद्यार्थियों  वाह शिक्षकों को संविधान  तथा मूल कर्तव्यों   के निर्माण की शपथ भी दिलाई । साथ ही डॉ सिंह ने यह विश्वास भी जाहिर किया कि जिस प्रकार  भारत के प्रयासों द्वारा विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है उसी प्रकार भारत के प्रयास के द्वारा भविष्य में विश्व लोकतांत्रिक दिवस भी मनाया जाएगा । कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ प्रियंका सिंह ने की जबकि कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ राकेश मीणा ने किया । कार्यक्रम में डॉ प्रतिमा गुप्ता समय 2 दर्जन से अधिक विद्यार्थी उपस्थित रहे ।
डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से ” समकालीन समय में लोक प्रशासन में होते बदलाव” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता बीएचयू के ” राजनीति  विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर गोविंद इनआखिया जी ने छात्र छात्राओं को संबोधित किया. लोक प्रशासन के महत्व को समझाते हुए डॉक्टर गोविंद ने कहा कि लोक प्रशासन प्रक्रिया के रूप में उतना ही पुराना है जितनी की मानव सभ्यता। हालांकिविषय के रूप में इसका विकास बाद में अमेरिकन विद्वानों के विशेष प्रयासों द्वारा हुआ । पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों में अंतर स्पष्ट कर इस विषय को और महत्वपूर्ण बनाया। लोक प्रशासन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर व्यापक बदलाव सन 2000 में संयुक्त राष्ट्र में मिलियन H डेवलपमेंट गोल ” के अंतर्गत जिसमे की मुख्य रूप से क्योटो प्रोटोकोल, सुनामी और कैटरीना जैसे विषय थे के बाद हुए. लोक प्रशासन की प्रकृति परिवर्तित हो गई अब सिर्फ विकास की बात नहीं हुई बल्कि आपदा के निवारण के साथ-साथ विकास की अवधारणा प्रशासनिक क्षेत्र में आई। भारत में प्रशासनिक बदलाव का उल्लेख करते हुए डॉक्टर गोविंद ने कहा कि वे वित्त आयोग के बाद भारत में बड़े प्रशासनिक बदलाव हुए क्योंकि हमने बड़ी संख्या में तीसरी और चौथी श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या में कमी के साथ ही प्रथम और द्वितीय श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी की और किसी भी योजना के लागू करने के समय ही उसकी डेडलाइन के निर्धारण का भी काम किया । सेक्टर वजटिंग, पीपीपी मॉडल, इफेक्टिवेनेस आज प्रशासन के क्षेत्र में बड़े परिवर्तन है. हालांकि परफारमेंस वेस बजटिंग सिस्टम की जगह अगर जीरो वेस वजटिंग सिस्टम भी लागू हो पाता तो यह भी भारत में प्रशासन के क्षेत्र में बहुत बड़ा सुधार होता जिससे कि धन का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार जैसी कई गंभीर समस्या भी समाप्त होती। एक विद्यार्थी के प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉक्टर गोविंद ने कहा कि भारत में लेटरल एंट्री समय की मांग है तथा क्षेत्रों में विशेषज्ञों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए बहुत आवश्यक है। धन्यवाद ज्ञापन राजनीतिक विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ स्वाति सुधारिता नंदा ने शापित किया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. प्रतिमा गुप्ता, श्री गौरव मिश्रा, श्री पियूष पांडे, समेत एक सैकड़ा से अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ राकेश मीणा जी ने किया।